सावधान : 24-25 फरवरी को ऋषि गंगा में फिर से हो सकता है जल प्रलय जानिए वजह.....  

सावधान : 24-25 फरवरी को ऋषि गंगा में फिर से हो सकता है जल प्रलय जानिए वजह.....  
यंगवार्ता न्यूज़ - देहरादून  19-02-2021

उत्तराखंड के चमोली में एनटीपीसी ने 24 और 25 फरवरी को बारिश की संभावना को देखते हुए ऋषि गंगा के जलस्तर में बढ़ोतरी होने का अलर्ट जारी किया है। कंपनी के अधिकारियों ने कहा कि नदी का जलस्तर करीब चार मीटर तक उठ सकता है। इसे देखते हुए तपोवन बैराज साइट पर मलबे का भरान किया जा रहा है। ताकि नदी के पानी को बैराज में जाने से रोका जा सके। दरअसल, मौसम विभाग ने 24 और 25 फरवरी को बारिश होने की संभावना जताई है।

इसे जिसे देखते हुए एनटीपीसी ने लोगों को सतर्क रहने के लिए कहा है। एनटीपीसी के महाप्रबंधक आरपी अहरिवार ने बताया कि नदी में पानी बढ़ने से रेस्क्यू कार्य में भी दिक्कतें आ सकती हैं। बैराज साइड मलबे का भरान किया जा रहा है। बारिश होने और नदी में पानी बढ़ने से रेस्क्यू कार्य में भी दिक्कतें आ सकती हैं।

वहीं, मलारी हाईवे पर रैणी गांव में ट्रॉली और वैली ब्रिज स्थापित करने का कार्य जारी है। यहां लोक निर्माण विभाग की ओर से ट्रॉली लगाने के लिए नदी के दोनों ओर एबेटमेंट बना दिए गए हैं, जबकि सीमा सड़क संगठन की ओर से वैली ब्रिज को जोड़ने का काम शुरू कर दिया गया है।

बता दें कि ऋषि गंगा की जल प्रलय से मलारी हाईवे पर 90 मीटर लंबा मोटर पुल बह गया था, तब से नीती घाटी के 13 गांवों के ग्रामीणों की आवाजाही ठप हो गई थी। इसके बाद बीआरओ ने ऋषि गंगा पर अस्थायी पुल बनाया जिससे नीती घाटी के कुछ ही गांवों के ग्रामीणों की आवाजाही हो पा रही है।

भंग्यूल और जुवाग्वाड़ गांव के लिए लोक निर्माण विभाग और सेना की ओर से ट्रॉली लगाई जा चुकी है, लेकिन लाता, सुरांईथोटा, तोलमा, रैणी चक लाता आदि गांवों के ग्रामीणों के लिए पुल की व्यवस्था नहीं हो पाई है। ऐसे में इन गांवों के ग्रामीणों की आवाजाही ठप है। जिला प्रशासन की ओर से हेलीकॉप्टर से प्रभावित क्षेत्र में रसद की आपूर्ति की जा रही है।

जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया ने बताया कि नीती घाटी के ग्रामीणों के लिए रसद की आपूर्ति की जा रही है। सभी गांवों में संचार और बिजली व्यवस्था सुचारु है। कुछ ही दिनों में मलारी हाईवे सुचारु होने की उम्मीद है।

सात फरवरी काे चमोली की ऋषिगंगा नदी में ग्लेशियर टूटने से जो तबाही मची थी, उस जल प्रलय जैसी ही आपदा की स्थिति राज्य में फिर पैदा हो सकती है। पर्यावरणविद् लगातार उत्तराखंड सरकार को इस बाबत सचेत कर रहे हैं। सरकार को भी इस ओर पुख्ता कदम उठाने की जरूरत है।