सिविल अस्पताल जुन्गा में सुविधाओं का अभाव होने से मरीज परेशान  

कसुंपटी निर्वाचन क्षेत्र का एक मात्र सिविल अस्पताल जुन्गा स्टाफ व मूलभूत सुविधाओं के अभाव में बदहाली के आंसू बहा रहा है। सूत्रों के मुताबिक इस अस्तपताल में विभिन्न श्रेणियों के दस से अधिक पद रिक्त पड़े

सिविल अस्पताल जुन्गा में सुविधाओं का अभाव होने से मरीज परेशान  

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला    20-04-2023

कसुंपटी निर्वाचन क्षेत्र का एक मात्र सिविल अस्पताल जुन्गा स्टाफ व मूलभूत सुविधाओं के अभाव में बदहाली के आंसू बहा रहा है। सूत्रों के मुताबिक इस अस्तपताल में विभिन्न श्रेणियों के दस से अधिक पद रिक्त पड़े हैं जिसमें एक पद डाॅक्टर, दो पद स्टाफ नर्स, सेवादार, कुक, चैकिदार इत्यादि शामिल है।

विशेषज्ञ चिकित्सकों के अभाव में मरीजों को शिमला का रूख करना पड़ता है। बता दें कि यह अस्पताल जुन्गा तहसील की 12 पंचायतों की करीब 25 हजार आबादी के लिए खोला गया हैं। आलम यह है कि 25 बिस्तर वाले अस्पताल में केवल दो स्टाफ नर्स कार्यरत है जोकि दिन-रात डियूटी देने के लिए मजबूर है।

बता दें कि अस्पताल की ओपीडी में प्रतिदिन औसतन 80 से एक सौ मरीज इलाज करवाने आते हैं। कुक का पद रिक्त होने से इनडोर रोगियों के लिए अस्पताल में भोजन की कोई व्यवस्था नहीं है। हालांकि बीते कुछ महीनों पहले अस्पताल में लैब तकनीशियन का पद भरा गया था। जिससे अस्पताल में आने वाले रोगियों को राहत मिली है ।

अस्पताल में बीते करीब एक वर्ष से पानी की सुविधा न  होने से अस्पताल में आने वाले रोगियों और कर्मचारियों को जल समस्या से जूझना पड़ रहा है। सूत्रों के मुताबिक अस्पताल भवन में पानी के रिवास के चलते पानी की गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई है। अस्पताल प्रशासन द्वारा इस बारे अनेकों बार उच्चाधिकारियों से पत्राचार किया गया है परंतु आजतक इसका समाधान नहीं हो पाया है।

अहम बात यह है कि कसुपटी विस के एक मात्र सिविल अस्पताल में 108 एंबुलेंस सेवा उपलब्ध नहीं है। यही नहीं  सीएचसी मशोबरा को छोड़कर कसुंपटी विस के किसी भी स्वास्थ्य संस्थान में 108 नेशनल एंबुलेंस सेवा उपलब्ध नहीं है। जबकि मशोबरा सीएचसी जुन्गा क्षेत्र से दूसरे छोर पर है। 

अस्पताल में  स्त्री रोग विशेषज्ञ और हडडी रोग विशेषज्ञ न होने से समूचे जुन्गा क्षेत्र से लोगों को शिमला अथवा सोलन जाना पड़ता है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी शिमला डाॅ सुरेखा चोपड़ा ने बताया कि रिक्त पदों को भरने बारे मामला उच्चाधिकारियांें के साथ उठाया गया है।