यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 21-03-2023
हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार पहले ही वरिष्ठ आईएएस की कमी से जूझ रही है। अब अफसरों के सेंटर डेपुटेशन पर जाने से सरकार मुश्किल में है। सुक्खू सरकार के 3 महीने के कार्यकाल में 3 आईएएस हिमाचल प्रदेश को छोड़कर सेंटर डेपुटेशन पर जा चुके हैं। चार सीनियर ब्यूरोक्रेट पहले से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर चल रहे हैं।
साल 2013 बैच की आईएएस एवं डीसी हमीरपुर देब श्वेता बनिक के सेंटर डेपुटेशन पर जाने के बाद प्रदेश में 112 आईएएस अधिकारी ही बचे हैं, जबकि प्रदेश में आईएएस की सैंक्शन काडर स्ट्रेंथ 153 है। देव श्वेता से पहले इसी साल प्रिंसिपल सेक्रेटरी रैंक के रजनीश और शुभाशीष पांडा भी सेंटर डेपुटेशन पर चले गए।
आलम यह है कि प्रदेश में कभी एसीएस ( एडिशनल चीफ सेक्रेटरी ) रैंक के 7 अधिकारी रहे हैं, आज एक भी एसीएस नहीं है। प्रिंसिपल सेक्रेटरी रैंक के भी 5 ही अफसर प्रदेश में पोस्टेड हैं। आईएएस डॉ. अजय शर्मा फरवरी में ही रिटायर हो चुके हैं, जबकि राजीव शर्मा, अमिताभ अवस्थी, अक्षय सूद, अमित कश्यप, कल्याण चंद व राकेश शर्मा भी इसी साल रिटायर होंगे।
जाहिर है कि सुक्खू सरकार को आने वाले दिनों में आईएएस की कमी से और ज्यादा जूझना पड़ेगा। चिंता इस बात की है कि सीनियोरिटी में टॉप-10 आईएएस में से 4 प्रदेश से बाहर दूसरे राज्यों में सेवाएं दे रहे हैं। सीनियोरिटी में तीसरे नंबर के आईएएस अली रजा रिजवी , 5वें नंबर के के.संजय मूर्ति, 7वें नंबर से केके पंत और 8वें नंबर की अनुराधा ठाकुर भी प्रदेश से बाहर सेवाएं दे रही हैं।
आईएएस की कमी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि 2023 अफसरशाही के लिहाज से सुक्खू सरकार के लिए चुनौतीपूर्ण रहने वाला है, क्योंकि ब्यूरोक्रेट्स किसी भी सरकार का आईना होते हैं, मगर राज्य में सीनियर आईएएस गिने-चुने रह गए हैं।