हिमाचल में 13 कंपनियां कर रहीं 55 मीट्रिक टन ऑक्सीजन उत्पादन
यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 16-05-2021
वैसे तो उत्तर भारत के लिए हिमाचल प्रदेश ऑक्सीजन इंजन का काम करता है, मगर कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में संक्रमितों को कृत्रिम ऑक्सीजन देने का काम भी कर रहा है। प्रदेश में इस समय 13 कंपनियां 55 मीट्रिक टन ऑक्सीजन उत्पादन कर रही हैं। इनमें से चार को कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन उत्पादन का लाइसेंस मिला है।
प्रदेश में कुल ऑक्सीजन उत्पादन क्षमता 76 मीट्रिक टन है, जबकि प्रदेश में 35-40 मीट्रिक टन खपत हो रही है। कोरोना मरीजों को पर्याप्त ऑक्सीजन उपलब्ध करवाने के लिए सरकारी संस्थानों इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (आईजीएमसी) शिमला, टांडा मेडिकल कॉलेज, हमीरपुर , नाहन व चंबा मेडिकल कॉलेज में भी प्लांट शुरू हो गए हैं। ऑक्सीजन की कमी न हो, इसके लिए निजी क्षेत्र में भी कंपनियां उत्पादन कर रही हैं।
अतिरिक्त ऑक्सीजन अन्य राज्यों को भेजी जा रही है। इस समय सर्वाधिक आवश्यकता बी एवं डी श्रेणी के सिलेंडरों की है, ताकि मरीजों तक ऑक्सीजन को पहुंचाया जा सके। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की मांग बढ़ने के बाद राज्य दवा नियंत्रक की ओर से बद्दी की शिवालिक, पांवटा - साहिब में माता बाला सुंदरी, कांगड़ा के नगरी की रवि एंटरप्राइजेज और कुल्लू में मां अंबा गैसिज कंपनी को उत्पादन के लिए स्वीकृति दी है।
अब सोलन जिला में चार, सिरमौर, मंडी, कांगड़ा में दो-दो व ऊना, शिमला व कुल्लू में एक-एक कंपनी उत्पादन कर रही है। राज्य दवा नियंत्रक बद्दी मुख्यालय नवनीत मरवाह का कहना है दो माह में राज्य दवा नियंत्रक कार्यालय की ओर से चार कंपनियों को ऑक्सीजन प्लांट की अनुमति दी है।
राज्य में पहले से नौ कंपनियां ऑक्सीजन उत्पादन कर रही थी। विशेष सचिव एवं सदस्य कोविड-19 के तहत कमेटी अरिंदम चौधरी का कहना है प्रदेश के कई अस्पतालों में अपने ऑक्सीजन प्लांट हैं। कुल ऑक्सीजन उत्पादन में 13 कंपनियों का उत्पादन भी शामिल है। इस समय हमारे पास पर्याप्त ऑक्सीजन मौजूद है।