हिमाचल में 51 फसल प्रजातियों का होगा संरक्षण, रोहड़ू के लाल चावल का होगा पेटेंट 

हिमाचल में 51 फसल प्रजातियों का होगा संरक्षण, रोहड़ू के लाल चावल का होगा पेटेंट 

यंगवार्ता न्यूज़ - काँगड़ा  19-03-2021

प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय ने शिमला जिला के रोहड़ू क्षेत्र के लाल चावल (छोहारटू) को देश-विदेश में पहचान दिलाने हेतु लाल धान की प्रजाति को भौगोलिक संकेतक के अंतर्गत पंजीकरण करवाने के प्रयास शुरू कर दिए हैं।

लाल धान में भरपूर आयरन तत्त्वों के अतिरिक्त अनेक आवश्यक मिनरल व विटामिन्स मौजूद होते हैं। मलां, कांगड़ा स्थित गेहूं व धान शोध केंद्र के पूर्व वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. आरपी कौशिक ने लाल धान पर काफी शोध कार्य किया है, इसलिए डा. आरपी कौशिक व शोध केंद्र के वर्तमान प्रभारी तथा वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. अजय श्रीवास्तव की टीम को रोहड़ू भेजा गया है, ताकि वे वहां लाल धान की उपज का स्टेट्स जान सकें और इसके पंजीकरण हेतु आवश्यक कार्रवाई पूरी कर सकें।

जानकारी के अनुसार कृषि विवि प्रदेश के स्वर्ण जयंती वर्ष के अंतर्गत इस वर्ष हिमाचल की परंपरागत फसलों की 51 प्रजातियों के संरक्षण व पंजीकरण पर कार्य शुरू करने जा रहा है। 

प्रदेश कृषि विवि के कुलपति प्रो. हरिंद्र कुमार चौधरी ने रोहड़ू क्षेत्र की कृषक महिला निर्मला राणा से ऑनलाइन चर्चा में लाल धान के सेहत संबंधी गुणों पर प्रकाश डाला। प्रो. चौधरी ने रोहड़ू क्षेत्र के लाल धान (छोहारटू) की इस प्रजाति को अधिक मूल्य दिलाने तथा इसको अधिक पहचान दिलाने हेतु विश्वविद्यालय के नए प्रयासों की जानकारी दी।

लाल धान को पहचान दिलाने व वैज्ञानिक जानकारी देने तथा इसके बीज संरक्षण हेतु कृषि विश्वविद्यालय किसानों की हरसंभव सहायता करेगा। कुलपति ने कहा कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की योजना को मूर्तरूप देने हेतु हिमाचल प्रदेश के स्वर्ण जयंती वर्ष के अंतर्गत इस वर्ष हिमाचल प्रदेश की परंपरागत फसलों की 51 प्रजातियों के संरक्षण व पंजीकरण पर कार्य शुरू किया जाएगा। रोहड़ू क्षेत्र के नेहर सिंह व निर्मला राणा ने कहा कि इससे यहां की कृषि व अन्य उत्पादों को धरोहर के रूप में संरक्षित करने में सहायता मिलेगी।