यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 23-08-2022
हिमचाल में सरकार की डायरेक्ट बेनीफिट ट्रांसफर सफेद हाथी साबित हो रही है। खासकर यदि बागवानों की बात करे तो प्रदेश के बागवानों के इसका कोई लाभ नहीं हो रहा है। आलम यह है की प्रदेश के 11 जिलों के बागवानों को डीबीटी से अब तक फूटी कोड़ी तक नहीं मिली। या यूँ कहे कि हिमाचल सरकार की डायरेक्ट बेनीफिट ट्रांसफर ( डीबीटी ) स्कीम बागवानों के धोखा साबित हुई।
जानकारी के मितबिक वर्ष 2021-22 और 2022-23 में भी 20 जुलाई तक कुल्लू जिला को छोड़ अन्य 11 जिलों के एक भी व्यक्ति को डीबीटी योजना के तहत कीटनाशक और फफूंद-नाशक पर अनुदान नहीं मिल पाया। कुल्लू में भी चंद बागवानों को मात्र 9,340 रुपए का अनुदान दिया गया है। वर्ष 2020-21 में बागवानी विभाग ने 18.92 करोड़ की दवाइयां खरीदकर बागवानों को अनुदान पर मुहैया कराई थी।
गौरतलब है कि जय राम सरकार ने एक अप्रैल 2021 में बागवानी विभाग के माध्यम से कीटनाशक और फफूंद नाशक पर मिलने वाली सब्सिडी बंद की और इसका भुगतान बैंक खाते ( डीबीटी ) के जरिए करने का निर्णय लिया। इस निर्णय का प्रदेशभर में जबरदस्त विरोध किया गया, क्योंकि डीबीटी प्रक्रिया में सब्सिडी की रकम भी नाम मात्र थी और इसके लिए आवेदन करना बागवान के लिए किसी चुनौती से कम नहीं था।
यही वजह रही कि डेढ़ साल तक बागवान ओपन मार्केट से महंगे दाम पर दवाईयां खरीदते रहे। इससे इनपुट कॉस्ट बहुत ज्यादा बड़ गई। इनपुट कॉस्ट बढ़ने से परेशान बागवान डेढ़ माह से सड़कों पर लड़ाई लड़ रहे हैं। हालांकि बागवानों के विरोध के बाद सरकार ने डीबीटी स्कीम को वापस ले लिया है। बताते है कि अब पुरानी व्यवस्था कायम की गई है, जिसमें बागवानी विभाग के खरीद केंद्रों के जरिए किसानों - बागवानों को अनुदान पर दवाइयां दी जाती है।
इसके लिए बागवानों को अलग से आवेदन करने की जरूरत नहीं है। बागवान जब बागवानी विभाग से दवाइयां खरीदेगा, तो उन्हें कम रेट पर उपलब्ध कराई जाएगी।