हमीरपुर और बिलासपुर के लोगों को रेल लाइन से जुड़ने का सपना पूरा होने की जगी उम्मीद 

हिमाचल प्रदेश के जिला हमीरपुर और बिलासपुर के लोगों को रेल लाइन से जुड़ने का सपना पूरा होने की उम्मीद जगी है। उत्तर रेलवे हिमाचल में नई रेल लाइन का सर्वे शुरू करने जा रहा

हमीरपुर और बिलासपुर के लोगों को रेल लाइन से जुड़ने का सपना पूरा होने की जगी उम्मीद 

यंगवार्ता न्यूज़ - हमीरपुर      10-03-2023

हिमाचल प्रदेश के जिला हमीरपुर और बिलासपुर के लोगों को रेल लाइन से जुड़ने का सपना पूरा होने की उम्मीद जगी है। उत्तर रेलवे हिमाचल में नई रेल लाइन का सर्वे शुरू करने जा रहा है। 

यह सर्वे रानीताल (कांगड़ा) से बिलासपुर वाया हमीरपुर के बीच रेल लाइन बिछाने का होगा। रानीताल से बिलासपुर वाया हमीरपुर रेल लाइन की लंबाई करीब 100 किलोमीटर होगी। इसमें करीब 11 रेलवे स्टेशन होंगे। 

जिलाधीश कांगड़ा ने मुख्य परिचालन प्रबंधक-सर्वे उत्तर रेलवे नई दिल्ली का पत्र मिलने के बाद जरूरी कदम उठाने के लिए उपमंडलाधिकारी कांगड़ा और ज्वालामुखी, डीएम एचआरटीसी, डीएफओ धर्मशाला, जिला पर्यटन अधिकारी और राजस्व विभाग को शीघ्र जरूरी बिंदुओं की जानकारी मुहैया कराने के निर्देश दिए हैं। 

वहीं, राजस्व विभाग ने इससे संबंधित रिपोर्ट बनाने की तैयारी कर ली है। दौलतपुर के कानूनगो से भी जानकारी मांगी है। मुख्य परिचालन प्रबंधक-सर्वे उत्तर रेलवे ने जिला कांगड़ा प्रशासन से संभावित रेल लाइन के साथ लगती जमीन की स्थिति के साथ यात्रियों की मांग, व्यापारिक संभावनाओं, रेल लाइन के साथ लगने गांवों की जनसंख्या, ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल, उद्योग और कृषि भूमि की जानकारी मांगी है। 

ताकि सर्वे के कार्य को शुरू किया जा सके। करीब 100 किलोमीटर रानीताल से बिलासपुर वाया हमीरपुर रेल लाइन के बीच 11 रेलवे स्टेशन होंगे। वर्तमान में रानीताल (ज्वालाजी रोड) रेलवे स्टेशन से पहला प्रस्तावित रेलवे स्टेशन बालू ग्लोआ (10 किमी) , ज्वालामुखी (17 किमी), नादौन (26 किमी), जटियाला (37 किमी), हारखालसा (45 किमी), हमीरपुर (50 किमी), भोटा (60 किमी), जरल (69 किमी), बभेली (78 किमी), पनोल (86 किमी किमी) और बिलासपुर (100 किमी) की दूरी पर होगा।

इस बारे में ज्वालामुखी के एसडीएम मनोज कुमार ने बताया कि जिला प्रशासन की ओर से इससे संबंधित रिपोर्ट मांगी गई थी। यह रिपोर्ट करीब एक सप्ताह पहले प्रशासन को भेजी जा चुकी है।

कांगड़ा, हमीरपुर और बिलासपुर यह तीनों जिले अब रेलवे लाइन से जुड़ेंगे। अगर यह योजना सिरे चढ़ती है तो जहां एक तरफ यात्रियों को सस्ती सुगम यात्रा उपलब्ध होगी। तो वहीं इन जिलों में धार्मिक पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। मटौर से शिमला फोरलेन के बाद यह दूसरा महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट साबित हो सकता है। 

उत्तर रेलवे मुख्य परिचालन प्रबंधक एवं सर्वे का पत्र मिलने के बाद उपायुक्त कांगड़ा ने सर्वे के संदर्भ में एसडीएम कांगड़ा, एसडीएम ज्वालामुखी, एचआरटीसी के मंडलीय प्रबंधक, डीएफओ, जिला पर्यटन अधिकारी, जिला सांख्यकी अधिकारी, कृषि उपनिदेशक, जिला राजस्व अधिकारी, उद्योग विभाग के महाप्रबंधक और जिला खनन अधिकारी समेत आठ अधिकारियों को लिखित में निर्देश जारी किए थे। 

फील्ड अधिकारियों से सूचनाएं एकत्रित कर जिला प्रशासन ने रेलवे को यह रिपोर्ट भेज दी है। अब रेलवे बोर्ड ने इस रेलवे ट्रेक पर आगामी निर्णय लेना है।
जरूरी सांसाधनों से डाटा एकत्रित कर इस रेलवे लाईन की तकनीकी और वित्तीय व्यवहार्यता को जांचने के निर्देश दिए थे। 

जिसमें पूछा गया है कि संबंधित रेलवे ट्रेक के तहत कितने नगर, कस्बा और जिलों आएंगे, प्रस्तावित रेलवे ट्रेक के तहत वर्तमान में यातायात के साधन और किराया और दूरी कितनी है, जिले, नगर व कस्बे के अंतर्गत जनसंख्या, कृषि उत्पादन, उद्योगिक इकाइयां, धार्मिक, ऐतिहासिक स्थल व हर साल कितने पर्यटक पहुंचते हैं, नमक व अन्य खनिज पदार्थों की जानकारी, संबंधित क्षेत्रों में लोगों का सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक रहन सहन का स्तर किस तरह का है।

कांगड़ा जिले में माता ब्रजेश्वरी, माता चामुंडा, माता बगलामुखी और ज्वालामुखी चार बड़े शक्तिपीठ हैं। वहीं, हमीरपुर में दियोटसिद्ध स्थित उत्तर भारत का प्रसिद्ध सिद्धपीठ बाबा बालक नाथ मंदिर, जबकि बिलासपुर में माता नयना देवी शक्तिपीठ है। इन तीन जिलों के शक्तिपीठों तक श्रद्धालुओं का आवागमन सरल और सस्ता होगा।