आईआईटी कानपुर के शोधार्थी हिमाचल के सरकारी स्कूलों के कमजोर विद्यार्थियों की पढ़ाई में करेंगे सुधार  

आईआईटी कानपुर के शोधार्थी हिमाचल प्रदेश के मंडी के छठी से 10वीं कक्षा तक सरकारी स्कूलों के कमजोर विद्यार्थियों की पढ़ाई में सुधार करेंगे

आईआईटी कानपुर के शोधार्थी हिमाचल के सरकारी स्कूलों के कमजोर विद्यार्थियों की पढ़ाई में करेंगे सुधार  

यंगवार्ता न्यूज़ - मंडी   31-03-2022

आईआईटी कानपुर के शोधार्थी हिमाचल प्रदेश के मंडी के छठी से 10वीं कक्षा तक सरकारी स्कूलों के कमजोर विद्यार्थियों की पढ़ाई में सुधार करेंगे।

कोरोना काल में लर्निंग गैप और पढ़ने-लिखने की क्षमता में आई गिरावट को पहली बार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (कंप्यूटर से जुड़े विशेष प्रोग्राम) के जरिये आंकने के लिए पहली बार ऑनलाइन सर्वे होगा। 

पढ़ाई में कमजोर विद्यार्थियों की पहचान कर उन्हें विशेष डिजिटिल आधारित प्रोग्राम से प्रतिभावान बनाया जाएगा। कमजोर बच्चों के व्यवहार और बौद्धिक क्षमता पर शोध कर उसी हिसाब से शिक्षा सामग्री तैयार की जाएगी। इसके पहले एक रिपोर्ट बनेगी कि बच्चा किस स्तर पर कमजोर है।

फिर आईआईटी विशेषज्ञ वीडियो, पीडीएफ फाइल्स या अन्य तरीके से बच्चों को सामग्री उपलब्ध करवाएंगे। देखा जाएगा कि बच्चा कितना सीखता है। इसके बाद भी एक टेस्ट होगा। बेसलाइन सर्वे अगले सप्ताह से शुरू किया जा रहा है। -

आईआईटी कानपुर ने एक पायलट प्रोजेक्ट के तहत मंडी सदर के स्कूलों का चयन किया है। इसमें करीब पांच हजार विद्यार्थियों को शामिल कर उनकी बौद्धिक क्षमता जांची जाएगी। युवा आईएएस रितिका जिंदल (एसडीएम मंडी) ने स्टार्टअप के तहत इस प्रोजेक्ट के शुरू होने की पुष्टि की है। 

एसडीएम ने बताया कि पंचायतों के दौरे के दौरान उन्होंने देखा कि कोरोन काल में सरकारी स्कूलों के बच्चों के बौद्धिक विकास में काफी अंतर आया है। कई विषयों में वे बेहद कमजोर हैं। इसके बाद विद्यार्थियों की शिक्षा गुणवत्ता में सुधार लाने के प्रयास के लिए कवायद शुरू की। 

स्टार्टअप के तहत ऑनलाइन आवेदन मांगे थे। स्क्रीनिंग में आईआईटी कानपुर का प्रोजेक्ट चुना गया। डॉ. एमके यादव के स्टार्टअप प्रोजेक्ट को अब मंडी में शुरू किया जाएगा। 

विद्यार्थियों की शैक्षणिक गुणवत्ता का विषयवार और कक्षावार ऑनलाइन टेस्ट होगा। इसके बाद इनके परिणाम आईआई-टी के विशेषज्ञ देखेंगे। इसके लिए स्कूलों में डिजिटल लाइब्रेरी में व्यवस्था होगी। एक दिन में एक कक्षा चुनी जाएगी। प्रश्न हल करने के लिए दिए जाएंगे। 

एक घंटे का टेस्ट होगा। इसके बाद इसकी जो रिपोर्ट बनेगी, वह सरकार और शिक्षा विभाग को भी दी जाएगी। जहां ऑनलाइन व्यवस्था नहीं होगी, वहां ऑफलाइन टेस्ट होगा।