उपलब्धि : एनीमिया से जंग के मोर्चे पर हिमाचल प्रदेश देश में आठवें स्थान पर

हिमाचल प्रदेश के नागरिकों खासकर बच्चों और महिलाओं में खून की कमी (एनीमिया) से जंग के मोर्चे पर हिमाचल देश में आठवें स्थान पर है। देशव्यापी एनीमिया मुक्त भारत (एएमबी) अभियान के स्कोर बोर्ड के आंकड़ों से यह खुलासा हुआ

उपलब्धि : एनीमिया से जंग के मोर्चे पर हिमाचल प्रदेश देश में आठवें स्थान पर

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला       23-11-2022

हिमाचल प्रदेश के नागरिकों खासकर बच्चों और महिलाओं में खून की कमी (एनीमिया) से जंग के मोर्चे पर हिमाचल देश में आठवें स्थान पर है। देशव्यापी एनीमिया मुक्त भारत (एएमबी) अभियान के स्कोर बोर्ड के आंकड़ों से यह खुलासा हुआ है। 

अभियान के तहत आईएफए कवरेज (आयरन की गोलियां वितरण) के आधार पर जारी हुए आंकड़ों में चालू वित्त वर्ष 2022-23 जून 2022 तक  हिमाचल प्रदेश देशभर में आठवें स्थान पर है। हालांकि, जून के बाद भी प्रदेश में यह अभियान गति से जारी है और आईएफए कवरेज के प्रदेश के आंकड़ों में और सुधार होने का अनुमान है।

इससे पहले एनीमिया मुक्त भारत (एएमबी) स्कोर कार्ड के अनुसार वर्ष 2021- 22 में हिमाचल आईएफए कवरेज में 56.9 प्रतिशत के साथ तीसरे स्थान पर रहा था। देश के नागरिकों खासकर महिलाओं और बच्चों में एनीमिया की रोकथाम पोषण अभियान के महत्वपूर्ण उद्देश्यों के साथ जोरशोर से चलाया जा रहा है। 

यह अभियान मार्च 2018 में लांच किया गया था। नीति आयोग की निर्धारित पोषण और एनीमिया मुक्त भारत की रणनीति पर यह अभियान चलाया जा रहा है।
प्रधान सचिव स्वास्थ्य सुभाशीष पंडा के ने कहा कि हिमाचल में 12 दिसंबर तक एनीमिया मुक्त अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत जिलावार छह माह से 10 वर्ष तक  के चिह्नित करीब 11 लाख बच्चों की डिजिटल हीमोग्लोबिनो मीटर से जांच की जा रही। 

स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में टीमें और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में चिकित्सा अधिकारी सक्रियता से अभियान से जुडे़ं हैं। कम वजन वाले 53,033 बच्चों में रक्त की कमी,  मध्यम रक्त अल्पता वाले बच्चे 87,691 और बहुत ज्यादा एनीमिया ग्रसित 2,247 सभी बच्चों का इलाज तय गाइड लाइन के अनुसार किया जा रहा है। 

एनीमिया यानी खून की कमी में रक्त में पर्याप्त लाल कोशिकाएं नहीं होती हैं। पूरे शरीर में आक्सीजन का कम प्रवाह होता है। एनीमिया का मुख्य कारण आयरन की कमी होना है। इसके लक्षणों में थकान, सांस की तकलीफ  और त्वचा का पीलापन हो सकता है। 

बच्चों का धीमी गति से विकास होता है। कमजोरी के चलते चक्कर आने और नींद न आने की समस्या बढ़ती है। एनीमिया के कई कारण होते हैं, जिनमें आयरन की कमी लगभग 50 प्रतिशत होती है। स्कूली बच्चों और 2-5 वर्ष की आयु के बच्चों में खून की कमी रहता है।