यंगवार्ता न्यूज़ - ऊना 06-05-2023
जिला ऊना में गेहूं की फसल की कटाई का कार्य तेज़ी से चल रहा है। किसान दिन-रात अपनी फसल की कटाई में जुटे हुए हैं। वहीं सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार गेहूं खरीद केंद्रों पर फसल की खरीद भी शुरू कर दी गई है। गेहूं की खरीद कर रही सरकार का प्रयास है कि गेहूं बेचते समय किसानों को किसी प्रकार की दिक्कतों का सामना न करना पडे़। इसके लिए सरकार द्वारा किसानों से गेहूं की खरीद हेतु ऑनलाइन सुविधा उपलब्ध करवाई है जिसके माध्यम से किसान http://hpappp.nic.in ऑनलाइन पाॅर्टल पर अपना पंजीकरण करवा के टोकन की बुकिंग के समय जारी किए गए टोकन तिथि के दिन ही अपनी फसल बेच रहे हैं।
विक्री की गई फसल की राशि सरकार सीधे तौर पर 24 से 48 घंटों के भीतर किसानों के खाते में भेज रही है। जिला के दो स्थानों रामपुर और टकारला में गेहूं खरीद केंद्र खुलने से किसानों को अपनी तैयार फसलों को विक्री के लिए अब पड़ोसी राज्यों का रूख नहीं करना पड़ रहा और साथ ही किसानों को बिचैलियों से राहत मिली है। रामपुर और टकारला केंद्रों में गेहूं फसल की खरीद अप्रैल माह के दूसरे सप्ताह से शुरू हो चुकी है। किसान इन केंद्रों में प्रदेश सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम समर्थन 2,125 रूपये प्रति क्विंटल की दर से अपनी फसल को आसानी से बेच रहे हैं। रामपुर में 2 करोड़ रूपये की धन राशि व्यय करके 500 मिट्रिक टन गेहूं भंडारण वाला तथा टकाराला में भी लगभग 3.50 करोड़ रूपये की लागत से गेहूं खरीद केंद्र खोला गया है।
पिछले लगभग 3 वर्षों से किसानों को इन गेहूं खरीद केंद्रों पर अपनी फसल बेचने की सुविधा मिल रही है। गेहूं खरीद केंद्रों पर अब तक 500 क्विंटल गेहूं की खरीद की जा चुकी हैं। इन केंद्रों में जून माह के अंत तक फसल खरीद का कार्य चलेगा। एपीएमसी के सचिव भूपिंदर सिंह ने बताया कि किसानों को उनकी फसलों का उचित मूल्यों मुहैया करवाने के उद्देश्य से ऊना जिला के रामपुर और टकारला में गेहूं की खरीद की जा रही है। किसान अपनी गेहूं की फसल को बेचने के लिए स्वयं ऑनलाइन या लोकमित्र केंद्र के माध्यम से 30 रुपये का शुल्क अदा कर पंजीकरण करवा सकते हैं। भूपिन्द्र सिंह ने बताया कि किसानों को अपना गेहूं बेचने की राशि का भुगतान 24 से 48 घंटे के भीतर सीधे उनके खाते में ट्रांसफर की जाती है। उन्होंने किसानों से अपील की है कि खरीद केंद्रों पर गेहूं को सुखाकर लाएं। गेहूं में नमी 12 प्रतिशत से कम होनी चाहिए। उन्होंने अधिक से अधिक किसानों से आह्वान किया है कि जिला में खोले गए गेहूं खरीद केंद्रों का लाभ उठाएं। टक्का के किसान बृज मोहन 160 कनाल पर गेहूं की पैदावार कर रहे हैं।
उनका कहना है कि गेहूं का बीज सरकार से उपदान पर मिलता है। उन्होंने बताया कि गेहूं खरीद केंद्र खुलने किसानों को काफी लाभ हुआ है। उन्हें पहले अपनी फसल की विक्री हेतू पंजाब जाना पड़ता था या बिचैलियों के माध्यम से काफी कम दरों पर अपनी फसल को बेचना पड़ता था। जिससे उन्हें काफी नुकसान होता था। खरीद केंद्र खुलने से उनकी फसल के अच्छे दाम भी मिल रहे और बेची गई फसल की राशि सीधे तौर पर खाते में जा रही है। बृज मोहन का कहना है कि फसल बेचने के लिए नियमों में और ज्यादा सरलीकरण होना चाहिए। हरोली के किसान अवतार का कहना है कि खरीद केंद्र खुलने से उन्हें फसल बेचने में आसानी हो रही है। पूर्व में वह फसल पंजाब जाते थे जिससे समय के साथ-साथ पैसे की बर्बादी होती थी।
उन्होंने बताया कि इन खरीद केंद्रों पर वह गेहूं की फसल के साथ-साथ धान की फसल को भी विक्रय कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि जिला में गेहूं खरीद केंद्र खुलने से स्थानीय किसानों का काफी सुविधा मिली है। झलेड़ा के किसान रणबीर बताते हैं कि पहले उन्हें अपनी फसल बेचने के लिए होशियारपुर जाना पड़ता था। लेकिन अब रामपुर और टकारला में खरीद केंद्र खुलने से फसल को इन केंद्रों पर बेचने की बेहतर सुविधा मिल रही है। उन्होंने बताया कि उन्होंने बताया सरकार द्वारा गेहूं की कटाई हेतु उपदान पर रिपर प्रदान किए गए हैं। इसके साथ ही सरकार द्वारा गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य भी अच्छा निर्धारित किया गया है जिसके लिए उन्होंने प्रदेश सरकार का आभार व्यक्त किया है।