एसएफआई ने छात्रों की मांगों को लेकर राज्यपाल को सौंपा ज्ञापन
यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 17-02-2021
एसएफआई ने राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय को हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के अंदर तरह-तरह की छात्र मांगों को अवगत करवाते हुए मांग पत्र सौंपा।
एसएफआई ने मांग रखी की हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय को प्रदेश के महाविद्यालय की तर्ज पर तुरंत प्रभाव से छात्रों के लिए खोला जाए ताकि छात्र अपनी पढ़ाई सुचारू रूप से जारी कर सकें।
इसके साथ एसएफआई ने मांग रखी कि विश्वविद्यालय प्रशासन अगले महीने से विश्वविद्यालय के अंदर स्नातकोत्तर स्तर की परीक्षाएं आयोजित करवाने जा रही है लेकिन अभी तक विश्वविद्यालय के हॉस्टल ना तो छात्रों के लिए खोले गए हैं और ना ही नए छात्रों को हॉस्टल आवंटित किए हैं।
परिसर अध्यक्ष रविंदर चंदेल ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन हॉस्टल आवंटन को लेकर कोताही बरत रहा है क्योंकि अभी तक विश्वविद्यालय को खोलने को लेकर प्रशासन कोई फैसला नहीं ले पाया है।
जाहिर तौर पर सवाल उठता है कि अगर आप इतनी देरी के बाद हॉस्टल आवंटन की प्रक्रिया को शुरू करेंगे तो जो छात्र विश्वविद्यालय हॉस्टल के अंदर रुकेगा उसे उस माहौल में ढलने के लिए समय लगता है लेकिन दूसरी तरफ देखते हैं कि विश्वविद्यालय प्रशासन पहले यह फरमान जारी कर चुका है कि 15 मार्च से आपके स्नातकोत्तर की परीक्षाएं होंगी पर लेकिन अभी तक विश्वविद्यालय को खोलने को लेकर कोई सुध प्रशासन के द्वारा नहीं ली गई है।
इसके साथ साथ हॉस्टल कंटिन्यूएशन फीस का मुद्दा भी बड़े जोरदार तरीके से राज्यपाल तथा मेंबर ऑफ कोर्ट्स के समक्ष उठाया गया और यह मांग रखी गई कि छात्रों को इस विपरीत दौर के अंदर राहत प्रदान की जाए तथा इस सत्र की हॉस्टल निरंतरता फीस को माफ किया जाए। गौरव नाथन ने यह मांग उठाई कि विश्वविद्यालय के अंदर प्रोफेसर भर्ती तथा मेरिट आधारित प्रवेश में बरती गई अनियमितताओं की जांच करवाने की मांग भी राज्यपाल से की।
कैंपस सचिव गौरव नाथ ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा की विश्वविद्यालय प्रोफेसर भर्ती के अंदर योग्य लोगों को दरकिनार सरकार के चहेतों की भर्ती विश्वविद्यालय के अंदर हुई है और यह मांग उठाई कि इसमें दोषी अधिकारियों पर कार्यवाही की जाए।
एसएफआई ने यह मांग उठाई कि हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय तथा प्रदेश के संबंधित महाविद्यालय के अंदर प्रत्यक्ष छात्र संघ चुनाव बहाल किया जाए ताकि छात्र और अधिकारियों के बीच बढ़िया समन्वय और तालमेल बना रहे और उन्हें मांग उठाई कि हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से निष्कासित छात्र नेताओं के निष्कासन को बहाल किया जाए अगर उनके निष्कासन को बाहर करने के लिए गंभीर चर्चा नहीं की गई तो आने वाले समय के अंदर उग्र आंदोलन इस विश्वविद्यालय के अंदर होगा।
इसके साथ एसएफआई ने मांग रखी कि विश्वविद्यालय के अंदर गैर शिक्षक वर्ग के रिक्त पदों को जल्द से जल्द भरा जाए और यह भर्ती नियमित आधार पर होनी चाहिए । एसएफआई ने मांग रखी विश्वविद्यालय के जितने भी कर्मचारी है।
उनके लिए पुरानी पेंशन नीति के तहत पेंशन की सुविधा प्रदान की जाए क्योंकि पूरी जिंदगी विश्वविद्यालय को समर्पित करने वाले कर्मचारियों का बुढ़ापे में पेंशन ही एकमात्र सहारा होता है और ऐसे में हमारी सरकार उनके इस सहारे को छीनने की कोशिश कर रही है।
अगर इन तमाम मांगों को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन प्रदेश सरकार गंभीरता से चर्चा नहीं करती है तो आने वाले समय के अंदर इस विश्वविद्यालय के अंदर एक जोरदार आंदोलन छात्र और कर्मचारियों को इकट्ठा करते हुए लड़ेगी।