न्यूज़ एजेंसी - नई दिल्ली 14-06-2021
ममता बनर्जी ने राज्य विधानसभा चुनाव में जबरदस्त जीत हासिल कर तीसरी बार राज्य की सत्ता तो हासिल कर ली, मगर नन्दीग्राम से उनकी हार अब भी उनका पीछा नहीं छोड़ रही है। अगर उन्हें 4 नवम्बर तक विधानसभा की सदस्यता नहीं मिली तो उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ेगी, जिसके आसार निर्वाचन आयोग की कोरोना महामारी के टलने तक उपचुनाव टालने की घोषणा से साफ नजर आ रहे हैं।
उपचुनाव के लिए स्थिति अनुकूल हुई या नहीं, इसका फैसला भी केन्द्र सरकार के हाथ में है और केन्द्र सरकार तथा ममता के बीच छिड़े तुमुल संग्राम में फिलहाल युद्धविराम के आसार दूर-दूर तक नजर नहीं आ रहे। ममता की ही तरह उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत का भविष्य भी अधर में लटक गया है।
तीरथ सिंह रावत को भी 10 सितम्बर तक विधानसभा की सदस्यता ग्रहण करनी है, जो कि समयाभाव के चलते कठिन लग रहा है। तीरथ सिंह के लिए अतिरिक्त संकट यह भी है कि विधानसभा चुनाव के लिए एक साल से कम समय रह गया है और ऐसी स्थिति में कोई सीट खाली भी हो जाए तो भी उस पर उपचुनाव नहीं हो पाएगा, इसलिए राज्य में नेतृत्व परिवर्तन या फिर राष्ट्रपति शासन का ही विकल्प बच सकता है।