कोरोना संकट में वैश्विक फार्मेसी बन कर उभरा भारत , 97 देशों को दी वैक्सीन 

कोरोना वायरस से जूझ रहे विश्व के लिए भारत एक रक्षक के रूप में उभरकर सामने आया है।

कोरोना संकट में वैश्विक फार्मेसी बन कर उभरा भारत , 97 देशों को दी वैक्सीन 
न्यूज़ एजेंसी - नई दिल्ली   16-01-2022
 
कोरोना वायरस से जूझ रहे विश्व के लिए भारत एक रक्षक के रूप में उभरकर सामने आया है। भारत ने दुनियाभर के देशों को न सिर्फ कोरोना वायरस के इलाज में प्रयोग होने वाली आवश्यक दवाइयां उपलब्ध कराईं, बल्कि प्रतिरक्षात्मक टीके भी मुहैया कराए। एक तरह से भारत संकट की इस घड़ी में वैश्विक फार्मेसी बन गया है।
 
 विदेश मंत्रालय के मुताबिक भारत ने पिछले साल 31 दिसंबर तक विश्व के 97 देशों को कोरोना रोधी वैक्सीन की 11.54 करोड़ डोज मुहैया कराई हैं। भारत ने देश में पिछले साल 16 जनवरी को कोरोना वायरस के खिलाफ टीकाकरण अभियान शुरू किया था। साथ ही उसी दिन से वैक्सीन मैत्री कार्यक्रम के तहत दूसरे देशों को भी वैक्सीन देनी शुरू कर दी थी। 
 
वैक्सीन मैत्री के तहत भारत ने अपने पड़ोसी देशों के साथ ही कई अन्य गरीब देशों को अनुदान के रूप में वैक्सीन उपलब्ध कराई है। इसके अलावा कई देशों को वैक्सीन की बिक्री के साथ ही विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के कोवैक्स कार्यक्रम के लिए भी टीके मुहैया कराकर एक जिम्मेदार राष्ट्र की भूमिका भी निभाई है। 
 
कोवैक्स कार्यक्रम के तहत विश्व के गरीब और निम्न आय वर्ग वाले देशों को वैक्सीन उपलब्ध कराई जाती है। भारत ने पड़ोसी पहले की अपनी नीति पर चलते हुए दक्षिण एशियाई देशों को सबसे ज्यादा 5.42 करोड़ डोज मुहैया कराई थी।भारत ने सबसे ज्यादा बांग्लादेश को 2.25 करोड़ और म्यांमार को 1.86 करोड़ डोज दी है।
 
वहीं, नेपाल को 94.99 लाख, इंडोनेशिया को 90.08 लाख, अफगानिस्तान को 14.68 लाख, श्रीलंका को 12.64 लाख, भूटान को 5.5 लाख और मालदीव को भी 3.12 लाख डोज मुहैया कराई। यूरोप के देशों में भारत से ब्रिटेन को सबसे ज्यादा 50 लाख डोज मिली। वहीं, कनाडा को पांच लाख डोज और मेक्सिको को वैक्सीन की 8.7 लाख डोज भी भारत दे चुका है।
 
संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षक बल के लिए दो लाख और संयुक्त राष्ट्र के स्वास्थ्य कर्मियों के लिए भी 1.25 लाख डोज उपलब्ध कराए थे। वहीं, वाशिंगटन डीसी के पीटीएच में इम्यूनोलॉजी और माइक्रोबायोलॉजी के वैज्ञानिक निदेशक डॉ. कुतुब महमूद ने कहा कि कोरोना एक अनूठा वायरस है, क्योंकि इसमें उत्परिवर्तन की दर बहुत अधिक है।
 
मुझे उम्मीद है कि इस साल हम जैसे-जैसे आगे बढ़ेंगे, शायद हम बहुत जल्द इस महामारी से बाहर आ जाएंगे। इसके प्रसार को रोकने के लिए हमें टीका लगवाना होगा। इसके साथ ही हमें समय आने पर बूस्टर खुराक भी लेनी होगी। उन्होंने कहा कि यह भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।
 
भारतीय टीकों का विश्व स्तर पर उपयोग किया जाता है। तो यह जश्न मनाने के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, क्योंकि भारत ने टीकाकरण कवरेज का 60 प्रतिशत से अधिक पूरा कर लिया है।