ट्रहाई गांव के गरीब किसान सब्जियों की सिंचाई के लिए पानी खरीदने को मजबूर

ट्रहाई गांव के गरीब किसान सब्जियों की सिंचाई के लिए पानी खरीदने को मजबूर

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 05-05-2020

मशोबरा ब्लॉक की पीरन पंचायत के ट्रहाई गांव के गरीब किसान इन दिनों नकदी फसलों की सिंचाई के लिए पानी खरीदने को मजबूर हैं । बता दें कि ट्रहाई गांव के करीब 40 साल पहले भज्जीनाला से 6 किलोमींटर लंबी प्रवाह सिंचाई योजना के तहत कूहल निर्मित की गई थी जो पिछले 6 साल से रखरखाव के बिना जीर्णशीर्ण अवस्था में पड़ी है। जिस कारण विशेषकर निर्धन लोगों को नकदी फसलें उत्पादित करने में काफी कठिनाई पेश आ रही है।

गौर रहे कि पिछले कई वर्षों से आईपीएच विभाग के उदासीन रवैये के चलते समृद्ध लोगों द्वारा गिरि नदी से 22 व्यक्तिगत सिंचाई लिफ्टें लगाकर पानी उठाया गया है। परंतु निर्धन परिवार के पास यह सुविधा नहीं है उन्हें हर वर्ष टमाटर और मटर के सीजन के दौरान सिंचाई के लिए व्यक्तिगत लिफ्टों के मालिकों से पानी मोल से खरीदना पड़ता है।

सबसे अहम बात यह है कि अधिकांश गरीब लोगों की जमीनें बंजर पड़ी है क्योंकि पानी के अभाव में फसलें उगाई नहीं जा सकती है। जिन समृद्ध किसानों के पास सिंचाई व्यवस्था है गरीब लोग उनकी जमीनों को आधे पर लेकर नकदी फसलें पैदा करते हैं।

ट्रहाई गांव के निवासी रोशन लाल, धर्मसिंह, देवेन्द्र कुमार, भूप सिंह, बेलीराम सहित अनेक गरीब किसानों ने बताया कि सिंचाई के लिए पानी न होने के कारण उन्हें सब्जियां उत्पादित करने की बहुत दिक्कत पेश आ रही है और मजबूरन उन्हें दूसरे के आधे पर खेत लेकर काम करना पड़ता है। कई बार सब्जियों के अच्छे दाम न मिलने पर मजदूरी भी हासिल नहीं हो पाती।

ग्रामीणों का कहना है कि पिछले अढाई वर्षों से लगातार सरकार के साथ इस बारे मामला उठाया गया है परंतु नक्कारखाने में तूती की आवाज है क्योंकि विधायक कांग्रेस पार्टी का होने से उनके सारे विकास कार्य बंद पड़े हैं।

स्थानीय भाजपा नेता प्रीतम ठाकुर का कहना है कि गत वर्ष के दौरान गांव के एक प्रतिनिधिमंडल ने सिंचाई मंत्री महेंन्द्र सिंह ठाकुर से शरंगाव में एक समारोह में भेंट की थी परंतु उनके आश्वासन के बाद भी समस्या जस की तस बनी हुई है ।

इसी समस्या को लेकर गत जनवरी माह को मुख्यमंत्री से भी भेंट की गई थी। अधीशासी अभियंता जल शक्ति विभाग शिमला राकेश वैद्य ने बताया कि भज्जीनाला प्रवाह सिंचाई योजना की आवश्यक मुरम्मत के लिए 5 लाख 200 रूपये की राशि स्वीकृत की गई है जिसकी मुरम्मत का कार्य लॉकडाउन के उपरांत आरंभ कर दिया जाएगा।

जिस पर ग्रामीणों का कहना है इस बृहद योजना के लिए 5 लाख की राशि ऊंट के मुंह में जीरा वाली बात है। इनका कहना है इस योजना की मुरम्मत की बजाए पाईप से पानी उठाया जाना चाहिए ताकि किसानों के खेतों तक पहूंच सके । ग्रामीणों ने शंका प्रकट की है कि मुरम्मत के लिए स्वीकृत पैसे का दुरूपयोग होने की संभावना है।