प्रदेश की मंडियों में जगह की किल्ल्त,किलो के हिसाब से सेब बेचने से आढ़तियों का इंकार
प्रदेश सरकार इस साल मंडियों में किलो के हिसाब से सेब बेचने की व्यवस्था लागू करने के दावे कर रही है लेकिन आढ़तियों ने ऐसा करने से साफ इनकार कर दिया है। आढ़तियों का कहना है कि मंडियों में जगह की किल्लत के कारण पेटियों में सेब बेचना मुश्किल
यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 05-03-2023
प्रदेश सरकार इस साल मंडियों में किलो के हिसाब से सेब बेचने की व्यवस्था लागू करने के दावे कर रही है लेकिन आढ़तियों ने ऐसा करने से साफ इनकार कर दिया है। आढ़तियों का कहना है कि मंडियों में जगह की किल्लत के कारण पेटियों में सेब बेचना मुश्किल हो रहा है तो किलो के हिसाब से कारोबार करना मुमकिन ही नहीं है।
मौजूदा समय में मंडियों में पर्याप्त जगह न होने से आक्शन यार्ड पर सैंपल की पेटियां ही बेचना पड़ती हैं, बाकी की पेटियां स्टोर में उतारनी पड़ती हैं। आढ़ती 8 से 10 लाख रुपये किराया देकर स्टोर लेने के लिए मजबूर हैं।
किलो के हिसाब से सेब बेचने के लिए हर आक्शन यार्ड पर वजन करने की व्यवस्था करनी पड़ेगी, जबकि मौजूदा समय में एक आक्शन यार्ड पर 4 से 6 आढ़तियों को सेब बेचना पड़ रहा है।
नई व्यवस्था लागू होने से बागवानों को भी परेशानी का सामना करना पड़ेगा। आढ़तियों का कहना है कि अगर सरकार आधारभूत ढांचा उपलब्ध करवाए तो उन्हें किलो के हिसाब से सेब बेचने में कोई आपत्ति नहीं है। पहले ही प्रीमियम क्वालिटी का सेब 5 किलो और 10 किलो की पैकिंग में बिक रहा है।
मंडियों में जगह की भारी किल्लत है जिसके कारण किलो के हिसाब से सेब बेचना संभव नहीं है। आक्शन यार्ड पर सैंपल बेचकर बाकी पेटियां स्टोरों में उतारनी पड़ रही हैं। सरकार मंडियों में पर्याप्त स्थान और सुविधाएं उपलब्ध करवाए तो किलो के हिसाब से सेब बेचने के लिए तैयार हैं। - हरीश ठाकुर, अध्यक्ष आढ़ती एसोसिएशन, ढली और पराला मंडी
शिमला की भट्ठाकुफर, ठियोग की पराला और किन्नौर की टापरी मंडी में जगह की किल्लत के कारण सीजन के दौरान सेब बेचने में आढ़तियों को समस्या का सामना करना पड़ता है।
भट्ठाकुफर मंडी में भूस्खलन के बाद आधे आक्शन यार्ड ही चल रहे हैं। पराला में आमद बढ़ने पर बागवानों को अपना सेब बेचने के लिए दो-दो दिन इंतजार करना पड़ता है। टापरी मंडी में भी सेब बेचने के लिए पर्याप्त स्थान नहीं है।