बढ़ती सिल्ट भाखड़ा बांध के लिए खतरे की घंटी , सर्वेक्षण में जुटी बीबीएमबी की टीम 

बढ़ती गाद (सिल्ट) के कारण पंजाब व हिमाचल की सीमा पर सतलुज नदी पर स्थापित भाखड़ा बांध खतरे में है। भाखड़ा से लेकर सलापड़ तक गोबिंद सागर झील की तलहटी पर हर वर्ष गाद बढ़ रही है

बढ़ती सिल्ट भाखड़ा बांध के लिए खतरे की घंटी , सर्वेक्षण में जुटी बीबीएमबी की टीम 

 

यंगवार्ता न्यूज़ - बिलासपुर  19-11-2022
 
बढ़ती गाद (सिल्ट) के कारण पंजाब व हिमाचल की सीमा पर सतलुज नदी पर स्थापित भाखड़ा बांध खतरे में है। भाखड़ा से लेकर सलापड़ तक गोबिंद सागर झील की तलहटी पर हर वर्ष गाद बढ़ रही है। बांध के लक्ष्य और प्रभाव को गाद बड़ा नुकसान पहुंचा सकती है। झील की तलहटी पर जितनी गाद बढ़ेगी, उतना ही पानी डैम में कम जमा होगा। बांध में पानी की कमी से इसके अस्तित्व को खतरा है। 
 
ऐसे में भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (बीबीएमबी) नंगल पंजाब इस पर निगरानी बनाए हुए है। इन दिनों एक माह के लिए बीबीएमबी की एक टीम सर्वेक्षण के कार्य में जुटी हुई है। टीम का लक्ष्य गोबिंद सागर झील के तल पर बढ़ती गाद को जांचना है। सर्वेक्षण के लिए गोबिंद सागर झील में उतरी बीबीएमबी की टीम अब तक कई बार गाद का सर्वेक्षण कर चुकी है। 
 
 
टीम सलापड़ से लेकर बिलासपुर नगर तक सर्वेक्षण का कार्य पूरा कर चुकी है और इन दिनों श्री नयना देवी के निकट नकराणा में सर्वेक्षण चल रहा है। नकराणा झील का वह क्षेत्र है, जहां गाद की मात्रा सबसे अधिक मिली है। झील के अलग-अलग हिस्सों में गाद की मात्रा अलग है। कुछ स्थानों पर 50 फीट तक जमा है तो कुछ स्थानों पर 100 व 200 फीट तक सिल्ट जमा हो चुकी है। गोबिंद सागर झील 90 किलोमीटर तक क्षेत्र में फैली है। भाखड़ा बांध का यह सफर सलापड़ से शुरू होता है। 
 
 
सलापड़ से ऊपर एनटीपीसी ने कोल बांध तैयार किया है और उसके आगे का हिस्सा भाखड़ा में शामिल है। टीम ने सलापड़, कंदरौर , बिलासपुर शहर, नकराणा , भाखड़ा व नंगल में यह सर्वेक्षण का कार्य करना है। कोल बांध निर्माण के बाद से भाखड़ा में सिल्ट की मात्रा में कमी आई है, लेकिन कुछ स्थानों पर अब भी इसका स्तर बढ़ रहा है। सर्वेक्षण टीम दो आधुनिक लैब से युक्त स्टीमर के साथ गोबिंद सागर झील में उतारा है। टीम सदस्यों ने बताया कि अलग-अलग स्थानों से सैंपल भी लिए हैं। इसकी कई तरह से जांच की जाती है। 
 
इसके लिए वह पानी के नीचे तलहटी तक ईको फाउंडर डालते हैं और वहां से सैंपल व जांच का कार्य पूरा होने के बाद इस ईको फाउंडर को वापस लाया जाता है। गोबिंद सागर व भाखड़ा बांध का जीवन 400 साल संभावित है। 400 साल तक यह पंजाब समेत कई राज्यों को सिंचाई का पानी व बिजली उपलब्ध करवाएगा और उसके बाद इसके लिए अन्य विकल्प देखने होंगे। 
 
इस बांध का निर्माण 1963 में हुआ था। बांध में अधिकतम 1680 फीट तक पानी भरा जा सकता है जिसे अभी 1670 तक भरा जाता है। वर्तमान में औसतन 100 फीट तक गाद इसकी तलहटी पर जमा हो चुकी है, जिससे 100 फीट पानी की कमी को महसूस किया जा रहा है। 
 
भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड भाखड़ा सर्कल के डिप्टी चीफ इंजीनियर हुस्न कंबोज का कहना है सर्वेक्षण टीम करीब एक माह तक सर्वे करेगी। उसके उपरांत सभी आंकड़ों पर रिपोर्ट तैयार की जाएगी। अभी सिल्ट की जांच के लिए टीम जगह-जगह से सैंपलिंग और टेस्टिंग कर रही है।