30 स्वयं सहायता समूहों की आजीविका का साधन बनेंगे बुरास के जंगल
यंगवार्ता न्यूज़ - श्रीरेणुकाजी 19-03-2021
विकास खंड संगड़ाह में सैकड़ों हेक्टेयर भूमि पर फैले रोडोडेंड्रोन ( बुरांस ) के जंगल महिलाओं की आजीविका का साधन बनेंगे। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत शुक्रवार को संगड़ाह में क्षेत्र के 10 स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को रोडो अथवा बुरास से तैयार होने वाले जूस, जैम तथा चटनी आदि बनाने संबंधी प्रशिक्षण दिया गया।
इससे पहले विकास खंड संगड़ाह के घंडूरी तथा भवाही में भी स्वयं सहायता समूह को विभाग द्वारा रोडोडेंड्रोन के जूस, स्क्वैश व जैम आदि बनाने का प्रशिक्षण दिया जा चुका है। फ्रूट एंड टेक्नोलॉजी संस्थान धौला-कुआं के लैब टेक्नीशियन जसपाल सिंह द्वारा बतौर मूल स्रोत व्यक्ति महिलाओं को बुरास के उत्पाद तैयार करने संबंधी प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
गौरतलब है कि गत सप्ताह मीडिया द्वारा बुरास के जंगलों में बहार, सैकड़ों मीट्रिक टन औषधीय फूलों का इस्तेमाल न होने तथा इसे आजीविका से न जोड़े जाने संबंधी खबर प्रकाशित की गई थी।
पंचायत समिति संगड़ाह के अध्यक्ष मेलाराम शर्मा ने यहां रोडोडेंड्रोन तथा फलों संबंधी उद्योग लगाए जाने की मांग सरकार से की। उन्होंने महिलाओं को उक्त प्रशिक्षण देने के लिए विभाग व सरकार का धन्यवाद किया।
खंड विकास अधिकारी संगड़ाह सुभाष चंद अत्री ने बताया कि पहले चरण में विकासखंड में तीन जगह पर महिलाओं को रोडो प्रोडक्ट संबंधी ट्रेनिंग करवाई गई है। उन्होंने कहा कि महिलाएं बुरास से तैयार होने वाले उत्पादों को सहायता समूह के माध्यम से विभिन्न मेलों तथा प्रदर्शनियों में बेच सकगी।
गौरतलब है कि बुरास के जूस को खून, पेट, हृदय रोग तथा त्वचा संबंधी बीमारियों की आयुर्वेदिक दवा समझा जाता है। बहरहाल संगड़ाह के 30 स्वयं सहायता समूहों की महिलाएं जल्द रोडो प्रोडक्ट से कमाई कर आत्मनिर्भर बनेगी।