रूदेशवर महादेव एक बार फिर गुलजार, हाई कोर्ट की अनुमति से स्कूल प्रांगण में सजा मेला
हिमाचल प्रदेश के जिला मंडी के लुद्दर में रूदेशवर महादेव कई वर्षों के बाद इस मर्तबा गुलजार नजर आए। करोना कॉल सहित सरकारी नियम कायदों के चलते रूदेशवर महादेव के प्रांगण में सजने वाला पौराणिक मेला हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट की अनुमति से आयोजित
हजारों लोगों ने भोले बाबा के समक्ष नवाया शीश
यंगवार्ता न्यूज़ - भोरँज 23-06-2022
हिमाचल प्रदेश के जिला मंडी के लुद्दर में रूदेशवर महादेव कई वर्षों के बाद इस मर्तबा गुलजार नजर आए। करोना कॉल सहित सरकारी नियम कायदों के चलते रूदेशवर महादेव के प्रांगण में सजने वाला पौराणिक मेला हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट की अनुमति से आयोजित किया गया है।
मेले में जहां सैकड़ों व्यापारियों ने दुकानदारी सजाई हुई थी। वहीं दूसरी ओर भगवान भोले बाबा में आस्था रखने वाले लोगों के चेहरों की चेहरे भी चहके हुए थे। मेले के आयोजन के दौरान हजारों लोगों ने भोले बाबा के समक्ष अपना शीश नवाया है। मेले का आयोजन शांतिपूर्ण तरीके से हुआ है ।
मेले का शुभारंभ मेला कमेटी के प्रधान अजय कुमार द्वारा रूदेशवर महादेव के शिवलिंगस्वरूप की पूजा अर्चना के साथ हुआ आज सूर्य के ढलने तक मेले में खूब चहल-पहल नजर आई है मेले के दौरान रूद्रेश्वर महादेव के प्रांगण में लोगों के लिए लंगर की व्यवस्था की गई थी। यह लंगर पंडित मनोहर लाल और उनके परिवार ने आयोजित किया था।
मेले का मुख्य आकर्षण विभिन्न प्रकार के झूले रहे, जहां पर सैकड़ों बच्चों ने झूले का आनंद लिया। रूद्रेश्वर महादेव मेला कमेटी प्रधान अजय कुमार ने बताया कि स्थानीय संस्कृति और परंपरा को बचाए रखने के लिए मेलों का आयोजन जरूरी होता है।
ऐसे में भूतेश्वर महादेव मेले का संरक्षण करना जरूरी था। इसीलिए मेले की अनुमति के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया और मेले के आयोजन की मंजूरी मिलने पर ही स्कूल प्रांगण में मेला सजाया गया।
रूदेशवर महादेव प्रांगण सहित राजकीय उच्च पाठशाला के खेल मैदान में मेले के आयोजन के लिए हाई कोर्ट से अनुमति के साथ 11000 रूपये छात्र वेलफेयर कमेटी को अदा करने के आदेश दिए गए थे। यह सारा पैसा मेला कमेटी प्रधान अजय कुमार ने राजकीय हाई स्कूल के मुख्याध्यापक को मंजूरी मिलने के तुरंत बाद अदा कर दिए और इसके बाद ही स्कूल प्रांगण में मेले का आयोजन किया गया है।
रूदेशवर महादेव मेले का आयोजन कब से हो रहा है इसकी कोई स्टीक जानकारी किसी के पास नहीं है। लेकिन किदवंती यह है कि भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह इसी स्थान पर हुआ था । ऐसे में जिस दिन या विवाह हुआ था ठीक उसी दिन से लुद्दर महादेव में मेले का आयोजन करने की परंपरा शुरू हुई थी। जिसे आज भी कायम रखने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ी गई है।
रूदेशवर महादेव यहां शिवलिंग रूप में सदियों से अपने भक्तों को दर्शन देते आ रहे हैं। मान्यता है कि शिव विवाह के उपरांत ही विरान भूमि में शिवलिंग धरती से उभरा था। इस शिवलिंग को पत्थर समझ करके कुछ लोगों ने उखाड़ने का प्रयास किया था और उस दौरान तकरीबन 18 हाथ तक खुदाई कर दी गई थी, लेकिन शिवलिंग का अंत नहीं पाया जा सका था। ऐसे में लोगों ने इसे शिवलिंग की मान्यता दी और फिर पूजा-अर्चना का दौर शुरू हो गया जो आज भी जारी है।