हिमाचल में हुआ रिकॉर्ड फिश उत्पादन , गत वर्ष से 71 मीट्रिक तन अधिक हुई प्रोडक्शन 

हिमाचल में हुआ रिकॉर्ड फिश उत्पादन , गत वर्ष से 71 मीट्रिक तन अधिक हुई प्रोडक्शन 

यंगवार्ता न्यूज़ - बिलासपुर  02-04-2021

गोबिंदसागर झील में पिछले साल की तुलना में इस बार लगभग 71 मीट्रिक टन अधिक फिश प्रोडक्शन दर्ज की गई है। पिछले साल आंकड़ा 243 मीट्रिक टन था, जबकि इस बार यह बढ़कर 314 मीट्रिक टन तक पहुंच गया है। यानी 70.8 मीट्रिक टन ज्यादा मत्स्य उत्पादन हुआ है। मत्स्य विभाग की मानें तो बड़े आकार का मछली बीज डालने की वजह से यह उत्पादन बढ़ोतरी हुई है और आगामी समय में भी इस प्रयोग को प्रभावी तरीके से अपनाया जाएगा। 

जानकारी के मुताबिक विभिन्न कारणों की वजह से गोबिंदसागर झील में हर साल मछली उत्पादन कम हो रहा था, जिसके चलते विभाग के समक्ष एक बड़ी चिंता खड़ी हो गई थी। झील में कई जगहों पर मछली के ब्रीडिंग ग्राउंड भी खत्म हो गए थे जिससे हर साल मछली उत्पादन में कमी दर्ज की जाने लगी।

 गोबिंदसागर संग अन्य जलाशयों में मत्स्य उत्पादन बढ़ाने को लेकर विचार-विमर्श के लिए बिलासपुर में राष्ट्रीय स्तर के एक सेमीनार का आयोजन भी किया गया था, जिसमें विभिन्न राज्यों से आए एक्सपर्ट्स ने अपनी अपनी राय रखी थी। इसके बाद विभाग ने 80 से 100 एमएम साइज के मछली बीज को झील में डालने का निर्णय लिया, जिसके अब सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं।

यही वजह है कि पहले की तुलना में इस बार गोबिंदसागर झील में 70826 किलोग्राम मछली उत्पादन अधिक दर्ज किया गया है। आगे से बड़े आकार का मछली बीज ही जलाशय में डाला जाएगा। महाशीर के अलावा राहू, मृगल व कतला इत्यादि प्रजाति की मछलियां झील में पलती हैं। विभागीय अधिकारियों की मानें तो पिछली बार कोविड-19 के प्रभाव की वजह से दो माह तक फिशिंग नहीं की जा सकी थी। यदि उस समय फिशिंग की जाती तो इस बार उत्पादन सौ मीट्रिक टन अधिक बढ़ जाता।

खैर, विभाग ने योजनावद्ध ढंग से काम शुरू किया है, जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। उधर, मत्स्य निदेशालय बिलासपुर के निदेशक सतपाल मैहता ने बताया कि गोबिंदसागर झील में इस बार उत्पादन में बढ़ोतरी हुई है जो कि पिछले साल की तुलना में लगभग 71 मीट्रिक टन अधिक है। उन्होंने बताया कि आगे भी योजनावद्ध ढंग से काम किया जाएगा और बड़े आकार का मछली बीज ही झील में डाला जाएगा ताकि मत्स्य उत्पादन में और अधिक बढ़ोतरी हो सके।

उन्होंने बताया कि आने वाले समय में गोबिंदसागर झील में ई-टेंडरिंग के माध्यम से मछली की सेल की जाएगी, जिसके लिए योजना तैयार की गई है जिसे सरकार की मंजूरी के लिए कैबिनेट में लाया जाएगा। उन्होंने बताया कि ई-टेंडरिंग प्रक्रिया शुरू होने से मछुआरों को मछली का एकसमान रेट मिलेगा। अभी भाखड़ा में यदि 200 रुपए प्रति किलोग्राम रेट तय है तो वहीं बिलासपुर में 110 से 130 रूपए प्रतिकिलोग्राम की दर से मछली बिक रही है। ऐसे में रेट में असमानता के चलते मछुआरों को लाभ नहीं मिल पाता।

इसलिए विभाग ने ई-टेंडरिंग को लेकर एक प्रस्ताव तैयार किया है। इससे आने वाले समय में मछुआरों को मछली का एक रेट मिलेगा। मत्स्य निदेशालय के निदेशक सतपाल मेहता ने बताया कि गोबिंदसागर झील में पिछले साल की तुलना में इस बार 70.8 मीट्रिक टन अधिक बढ़ोतरी दर्ज की गई है। जहां पिछले वर्ष आंकड़ा 243 मीट्रिक टन था तो वहीं इस बार बढ़कर 314 मीट्रिक टन हो गया है। बड़े आकार का मछली बीज डालने के सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। आगे भी व्यवस्था को बरकरार रखा जाएगा, ताकि प्रोडक्शन में इजाफा हो सके।