500 साल के इंतजार के बाद श्री राम के मंदिर का भूमि पूजन व शिलान्यास हुआ संपन्न : जम्वाल

500 साल के इंतजार के बाद श्री राम के मंदिर का भूमि पूजन व शिलान्यास हुआ संपन्न : जम्वाल

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 05-08-2020

भारतीय जनता पार्टी हिमाचल प्रदेश के प्रदेश मुख्यालय शिमला में आज अयोध्या में श्री राम मंदिर भूमि पूजन संपन्न होने के अवसर पर एक दीपमाला का कार्यक्रम पार्टी महामंत्री त्रिलोक जमवाल की अध्यक्षता में आयोजित किया गया कार्यालय में घी के दीपक जला कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

इस ऐतिहासिक दिन पर भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं द्वारा चक्कर बाज़ार में लड्डू वितरण भी किया गया। कार्यालय में भजन का कार्यक्रम भी रखा गया जिसमें पूरा कार्यालय और चक्कर बाजार जय राम जय जय राम की ध्वनि से झूम उठा।

भाजपा महामंत्री त्रिलोक जम्वाल ने कहा कि आज 500 साल के इंतजार के बाद भगवान श्री राम के मंदिर का भूमि पूजन व शिलान्यास निर्विघ्न संपन्न हुआ है देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने मंदिर निर्माण के लिए जो मार्ग प्रशस्त किया है वह सदा याद किया जाएगा।

उन्होंने कहा 1980 में शुरुआत से ही भारतीय जनता पार्टी ने भगवान् श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर बनाने को अपना लक्ष्य बनाया , पार्टी शुरुआत से ही अयोध्या में संवैधानिक तरीके से राम मंदिर के निर्माण को लेकर संकल्पबद्ध रही ।

उन्होंने कहा वर्ष 1989 में पालमपुर के रोटरी भवन में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई पार्टी ने श्रीराम मंदिर के प्रस्ताव को पालमपुर में पहली बार पारित किया , श्रद्धेय लालकृष्ण आडवाणी जी के नेतृत्व में 25 सितंबर , 1990 को गुजरात के सोमनाथ से रथयात्रा शुरू हुई , 30 अक्टूबर 1990 को हजारों रामभक्तों ने मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव द्वारा खड़ी की गई अनेक बाधाओं को पार कर अयोध्या में प्रवेश किया और विवादित ढांचे के ऊपर भगवा ध्वज फहरा दिया ।

उन्होंने कहा लेकिन 2 नवंबर 1990 को मुलायम सिंह यादव ने कारसेवकों पर गोली चलाने का आदेश दिया जिसमें सैकड़ों रामभक्तों ने अपने जीवन की आहुतियां दीं । सरयू तट रामभक्तों की लाशों से पट गया था ।

यहाँ कोठारी बंधुओं के बलिदान को बुलाया नहीं जा सकता , 6 दिसंबर 1992 को बाबरी ढांचा ढहा दिया गया , उत्तर प्रदेश में भाजपा की तत्कालीन कल्याण सिंह सरकार ने भगवान् राम जन्मभूमि के लिए सरकार का बलिदान देने में तनिक भी संकोच नहीं किया , इसके पश्चात लगातार हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट में केस चलता रहा और अंतोतगत्वा सर्वोच्च न्यायालय ने सर्वसम्मति से रामलला के पक्ष में अपना फैसला सुनाया , यह निर्णय आस्था के आधार पर नहीं , बल्कि सभी साक्ष्यों , तथ्यों एवं प्रमाणों के आधार पर दिया गया ।

उन्होंने कहा सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने रोजाना आधार पर 40 दिनों तक सुनवाई की सभी पक्षों को मौक़ा दिया गया और उनकी दलीलें सुनी , कांग्रेस सरकार ने 1993 में रामलला की 67.70 एकड़ जमीन एक्वायर की थी जिस पर कोई विवाद था ही नहीं लेकिन कांग्रेस की सरकारों ने कभी भी इसे वापस नहीं किया था।