अपने निवास स्थान ऊना पहुंचे टोक्यो पैरालंपिक विजेता निषाद, परिजनों से मिलकर छलके आसूं 

अपने निवास स्थान ऊना पहुंचे टोक्यो पैरालंपिक विजेता निषाद, परिजनों से मिलकर छलके आसूं 

यंगवार्ता न्यूज़ - ऊना   03-09-2021

टोक्यो पैरालंपिक में रजत पदक जीतकर देश का नाम चमकाने वाले हिमाचल प्रदेश के निषाद कुमार शुक्रवार को अपने घर पहुंचे। ऊना जिले के अंब उपमंडल के निषाद का घर पहुंचने पर धुसाड़ा से लेकर अंब तक सात जगह भव्य स्वागत किया गया। 

घर में जश्न का माहौल है। बधाइयां देने वालों का तांता लगा है। निषाद की जीत की खुशी में लोगों और परिजनों ने भंगड़ा डालकर स्वागत किया। परिजनों से मिलकर निषाद के आंसू छलक पड़े। 

निषाद लंबी और ऊंची कूद के साथ दौड़ स्पर्धाओं में भी अव्वल रहा है। सरस्वती विद्या मंदिर संस्था की ओर से राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर कराई गई स्पर्धाओं में उसने गोल्ड, सिल्वर आदि मेडल अपने नाम किए। 

जब वे छठी में पढ़ते थे तो घर में टोका मशीन से बाजू कट जाने पर चंद समय के लिए उसके कदम रुके। बाद में उसने इन स्पर्धाओं को जुनून से जारी रखा। 

स्कूली स्तर पर खेलते हुए निषाद पांच राज्यों की खेलों में गोल्ड मेडल जीत कर प्रतिभा का लोहा मनवा चुके हैं। निषाद देश के करोड़ों लोगों उम्मीदों की ऊंची कूद लगा पाए हैं तो उसमें गुरुओं की मेहनत भी है।

निषाद ने अंब के कटोहड़ खुर्द स्थित देवीदास शास्त्री सरस्वती विद्या मंदिर से नर्सरी से दसवीं तक की पढ़ाई पूरी की। पढ़ाई के साथ खेलों की ऊंचाई तक पहुंचाने में सरस्वती विद्या मंदिर से ही निषाद पंख लगे।

निषाद की सफलता की नींव वर्ष 2002 में देवीदास शास्त्री सरस्वती विद्या मंदिर कटोहड़ खुर्द में नर्सरी से शुरू हुई। यहां से निषाद ने 2014-15 में दसवीं पास की। स्कूल में प्रिंसिपल मीनाक्षी शर्मा ने निषाद को निशुल्क ट्यूशन देकर पढ़ाई से जोड़े रखा। 

देवीदास शास्त्री सरस्वती विद्या मंदिर कमेटी के कोषाध्यक्ष जेआर शर्मा ने गरीब परिवार और निषाद की खेलों में अथाह लगन की परख की।

उसकी प्रतिभा को निखारने के लिए अपने खर्चे से प्रतियोगिताओं में भेजा। पढ़ाई का खर्च भी वहन किया। इसके बाद निषाद ने भी पीछे मुड़कर नहीं देखा। 

स्कूल प्रिंसिपल मीनाक्षी शर्मा ने बताया कि मेरे घर पक्का परोह और निषाद के घर बदाऊं में एक किलोमीटर का फासला था। परिवार के आर्थिक हालात और उसकी पढ़ाई और खेलों में लग्न को देखते हुए उसे दूसरी से निशुल्क ट्यूशन देनी शुरू की। 

निषाद से एक परिवार की तरह जुड़ाव हो गया। बाजू कटने पर उसका खेल के प्रति जुनून देख समझ आ गया था कि निषाद एक न एक दिन जरूर कुछ करेगा। 

पूर्व तत्कालीन शारीरिक शिक्षक हरमेश ने कहा कि निषाद में शुरूआत से ही जुनून रहा। उसकी मंजिल के आगे आर्थिक तंगी न आए इसके लिए भगवान ने मुझे नेक कार्य में सेतु बनने का सौभाग्य दिया। गर्व है कि मैं देश को एक नायाब हीरा देने में सूत्रधार रहा हूं।