आईजीएमसी में दाखिल होने वाले हर मरीज का होगा कोरोना टेस्ट
यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 08-06-2020
सर्जरी वाले ही नहीं अब आईजीएमसी में दाखिल वाले हर मरीज का कोरोना टेस्ट किया जाएगा। जैसे ही मरीजों को डाक्टर दाखिल होने के लिए लिखेंगे, सबसे पहले मरीज के कोरोना टेस्ट के लिए सैंपल लिए जाएंगे।
जब तक टेस्ट रिपोर्ट नहीं आती, तब मरीज को निगरानी में रखा जाएगा। अगर रिपोर्ट पाजीटिव आई तो तुरंत मरीज आइसोलेशन वार्ड में शिफ्ट कर दिया जाएगा।
वहीं जिन मरीजों में फ्लू के लक्षण होंगे, उनको सामान्य वार्ड की जगह आइसोलेट वार्ड में दाखिल किया जाएगा। रिपोर्ट नेगेटिव आऩे के बाद ही मरीज को सामान्य वार्ड में शिफ्ट किया जाएगा।
डॉक्टरों और मरीजों की सुरक्षा को देखते हुए आईजीएमसी प्रशासन ने दाखिल करवाने पहले कोरोना टेस्ट जरूरी कर दिया है। नई व्यवस्था शुरू कर दी गई। अब जितने भी मरीज दाखिल होने के लिए आ रहे हैं, उन सब के सैंपल लिए जा रहे हैं।
अधिकारियों के अनुसार कोरोना का सबसे ज्यादा असर बीमार लोगों पर हो रहा है। अस्पताल एक ऐसी जगह है, जहां पर रोजाना कई मरीज इलाज के लिए आते हैं। ऐसे में कब किसमें कौन सा संक्रमण आ जाए, इसका भी पता नहीं चलता।
लिहाजा अगर किसी मरीज को कोरोना होगा और वह आम मरीजों के साथ रखा जाए तो इससे डॉक्टरों के साथ साथ अन्य मरीजों में संक्रमण फैल जाएगा। ऐसे में पहले ही टेस्ट से पता चल जाएगा कि मरीज संक्रमित तो नहीं है। इससे डॉक्टर और मरीज दोनों सुरक्षा रहेगी।
आईजीएमसी प्रदेश का सबसे बड़ा अस्पताल है। यहां पर रोजाना 50 से 60 दाखिल किए जा रहे हैं। इतने ही मरीजों को यहां से छुट्टी दी जाती है। आईजीएमसी में करीब 850 बेड हैं, जबकि यहां पर 1500 के करीब मरीज दाखिल रहते हैं।
ऐसे में प्रशासन का दाखिल होने वाले हर मरीज का कोरोना टेस्ट करना सहरानीय है क्योंकि अगर दाखिल मरीजों में संक्रमण फैलता है तो इससे काफी लोगों में संक्रमण की संभावना रहेगी।
आईजीएमसी में ऑपरेशन करने वाले मरीजों के साथ दाखिल होने वाले मरीजों का भी कोरोना टेस्ट किया जाएगा। इसमें फ्लू वाले मरीजों को रिपोर्ट आने तक आइसोलेट किया जाएगा, जबकि दाखिल होने वाले मरीजों को निगरानी में रखा जाएगा।
रिपोर्ट आने के बाद ही मरीज को वार्ड में शिफ्ट करेंगे। मरीजों, डाक्टरों व पैरामैडिकल स्टाफ की सुरक्षा के लिए यह निर्णय लिया गया है। डॉ. रजनीश पठानिया, प्रिंसिपल आईजीएमसी शिमला कोरोना कमजोर इम्यून सिस्टम वाले मरीजों को ज्यादा जल्दी पकड़ता है।
आईजीएमसी कैंसर किडनी , एचआईवी, टीवी समेत कई क्रोनिकल डिजिज के काफी ज्यादा मरीज दाखिल रहते हैं। इन्हीं मरीजों को कोरोना का सबसे ज्यादा खतरा रहता है। इससे पहले इन मरीजों के कोरोना टेस्ट तो लिए जा रहे थे, लेकिन सामान्य मरीजों पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा था।
अगर संक्रमण सामान्य मरीजों में आता है तो इससे डाक्टरों के साथ-साथ पैरामैडिकल स्टाफ सहित अन्य मरीजों के लिए भी आफत खड़ी हो जाएगी।
इससे पहले प्रशासन ने करीब डेढ माह पहले आपरेशन वाले मरीजों के लिए कोरोना टेस्ट जरूरी किया था। आईजीएमसी में रोजाना 10-15 आपेरशन हो रहे हैं।