आईजीएमसी में स्क्रब टायफस की चपेट में आने से 1 व्यक्ति  की मौत

हिमाचल में स्क्रब टायफस संक्रमितों के मामले लगातार बढ़ते ही जा रहे है। रोजाना ही आईजीएमसी में मामले आ रहे है। वही स्क्रब टायफस से मंगलवार देर शाम एक व्यक्ति की मौत......

आईजीएमसी में स्क्रब टायफस की चपेट में आने से 1 व्यक्ति  की मौत

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला   29-10-2021

हिमाचल में स्क्रब टायफस संक्रमितों के मामले लगातार बढ़ते ही जा रहे है। रोजाना ही आईजीएमसी में मामले आ रहे है। वही स्क्रब टायफस से मंगलवार देर शाम एक व्यक्ति की मौत हो गयी है। 

57 वर्षीय व्यक्ति बिलासपुर से स्क्रब टायफस के इलाज के लिये आईजीएमसी आया था जहाँ व्यक्ति का ईलाज चल रहा था। मंगलवार देर शाम व्यक्ति ने एम तोड़ दिया। स्क्रब टायफस के प्रतिदिन 1, 2 मामले आईजीएमसी पहुंच रहे है। 
 
स्क्रब टाफस का आंकड़ा अब 320पहुंच गया है। ये वह मरीज है। जिन्होंने आईजीएमसी में अपना उपचार करवाया है और करवा रहे है। वहीं अभी तक आई.जी.एम.सी. में स्क्रब टायफस से 6 लोगों की मौत हो चुकी है। आईजीएमसी में रोजाना 1 से 2 मामले आ रहे है। अब स्क्रब टायफस के आ रहे मामलों को देखकर चिकित्सक भी अर्लट हो गए है। 

चिकित्सकों ने लोगों के लिए निर्देश दिए है कि जैसे ही किसी लोगों को इसके लक्षण दिखाई देते है, तो नजदी की अस्पतालों में जाकर अपना इलाज करवाए। इससे बचने के लिए लोगों को सावधानी बरतनी होगी। ध्यान रहे कि स्क्रब टायफस एक जीवाणु से संक्रमित पिस्सू के काटने से फैलता है, जो खेतों झाडिय़ों व घास में रहने वाले चूहों में पनपता है। 

जीवाणु चमड़ी के माध्यम से शरीर में फैलता है और स्क्रब टायफस बुखार बन जाता है। विभागाधिकारियों का कहना है कि मॉनीटरिंग की जा रही है और रोजाना रिपोर्ट निदेशालय और सचिवालय भेजी जाती है। चिकित्सकों का तर्क है कि लोगों को चाहिए कि इन दिनों झाडिय़ों से दूर रहे और घास आदि में न जाए, लेकिन किसानों और बागवानों के लिए यह संभव नहीं है, क्योंकि इन दिनों घास काटने का अधिक काम रहता है। 

स्क्रब टायफस के लक्षण मरीज को तेज बुखार जिसमें 104 से 105 तक जा सकता है। जोड़ो में दर्द और कंपकपी ठंड के साथ बुखार, शरीर में ऐठन अकडऩ या शरीर का टूटा हुआ लगना अधिक संक्रमण में गर्दन बाजू कूल्हों के नीचे गिल्टियां का होना है। इससे बचने के उपाय लोग सफाई का विशेष ध्यान रखे। 

घर व आसपास के वातावरण को साफ  रखें। घर व आसपास कीटनाशक दवा का छिड़काव करे। मरीजों को डॉक्सीसाइक्लन और एजिथ्रोमाईसिन दवा दी जाती है। स्क्रब टायफस शुरूआत में आम बुखार की तरह होता है, लेकिन यह सीधे किडऩी और लीवर पर अटैक करता है। यही कारण है कि मरीजों की मौत हो जाती है।

आईजीएमसी के डिप्टी डॉ राहुल गुप्ता ने पुष्टि करते हुए बताया कि आईजीएमसी में स्क्रब टायफस के मामले आ रहे हैं। वही 1 व्यक्ति  की स्क्रब से मौत हुई है।लोग सावधानी बरते। अगर स्क्रब के कोई लक्षण दिखाई देते है तो अस्पताल में आए और समय से अपना उपचार शुरू करें। अस्पतालों में उपचार के पूरे साधन है।