आईपीएस सतवंत अटवाल त्रिवेदी बनी हिमाचल पुलिस की पहली महिला डीजीपी 

हिमाचल प्रदेश सरकार ने 1996 बैच की आईपीएस अधिकारी और एडीजीपी सतवंत अटवाल त्रिवेदी को पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा है। 1996 बैच की आईपीएस अधिकारी सतवंत अटवाल त्रिवेदी अब हिमाचल प्रदेश की प्रथम महिला डीजीपी

आईपीएस सतवंत अटवाल त्रिवेदी बनी हिमाचल पुलिस की पहली महिला डीजीपी 
 

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला  23-06-2023

 

हिमाचल प्रदेश सरकार ने 1996 बैच की आईपीएस अधिकारी और एडीजीपी सतवंत अटवाल त्रिवेदी को पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा है। 1996 बैच की आईपीएस अधिकारी सतवंत अटवाल त्रिवेदी अब हिमाचल प्रदेश की प्रथम महिला डीजीपी होंगी। गृह विभाग ने शुक्रवार को इस बारे में अधिसूचना जारी की है। डीजीपी संजय कुंडू 14 जुलाई तक अवकाश पर गए हैं। इसके चलते सरकार ने डीजीपी स्तर पर लिए जाने वाले प्रशासनिक और अन्य महत्वपूर्ण फैसलों के लिए अटवाल को अधिकृत किया है। वह वर्तमान में एडीजीपी स्टेट विजिलेंस एंड एंटी करप्शन ब्यूरो हैं। 

 

 

सतवंत अटवाल 14 जुलाई तक पुलिस विभाग से जुड़े महत्वपूर्ण निर्णय लेंगी। उधर, नियुक्ति का इंतजार कर रहे 1994 बैच के आईपीएस अफसर राकेश अग्रवाल को एडीजीपी कम कमांडेंट जनरल होमगार्ड, सिविल डिफेंस एवं फायर सर्विस लगाया है। उनके कार्यभार संभालने के बाद 1997 बैच के आईपीएस अफसर एपी सिंह अतिरिक्त कार्यभार से मुक्त किया गया। एपी सिंह अब एडवाइजर (सिक्योरिटी) हिमाचल सरकार दिल्ली और एडीजी जेल का काम देखते रहेंगे। वहीं, प्रदेश सरकार ने तैनाती का इंतजार कर रहे आईपीएस अधिकारी राकेश अग्रवाल को एडीजी कमांडेंट जनरल होमगार्ड तैनात किया है। इस संबंध में मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना की ओर से अधिसूचना जारी कर दी गई है। 

 

 

गौर हो कि सतवंत अटवाल त्रिवेदी को हिमाचल की पहली आईपीएस होने के साथ-साथ एनआईए और बीएसएफ की पहली महिला अधिकारी होने का गौरव भी प्राप्त है। हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिला से ताल्लुक रखने वाली आईपीएस अधिकारी सतवंत अटवाल त्रिवेदी ने शिमला के सेंट बीड्स कॉलेज और ऑकलैंड हाउस स्कूल में शिक्षा ग्रहण की है। हिमाचल में महिलाओं से जुड़े अपराध की ऑनलाइन शिकायत दर्ज करने व महिलाओं के लिए अलग थाने खोलने का श्रेय भी अटवाल को ही जाता है। उन्होंने हिमाचल प्रदेश के अपने कैडर के साथ-साथ अन्य प्रतिष्ठित पुलिस संगठनों के विभिन्न पदों पर एक पुलिस अधिकारी के रूप में सराहनीय सेवाओं की एक समृद्ध गाथा को भी लिखा है। 

 

 

इसके अलावा, उन्होंने सीमा सुरक्षा बल में भारत के पहले आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कार्यान्वयन को सफलतापूर्वक शुरू किया। वह क्लिनिकल साइकोलॉजी में स्वर्ण पदक विजेता हैं और जर्मन में एफबीआई नेशनल एकेडमी, डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस, यूएसए से डिप्लोमा इन इन्वेस्टिगेशन एंड लीडरशिप भी प्राप्त किया हुआ है। उन्होंने राष्ट्रीय पुलिस अकादमी में सेवा प्रदान की है। राष्ट्रीय पुलिस अकादमी में संकाय, एसपी रैंक पर जिला पुलिस सशस्त्र बटालियन का नेतृत्व कर चुकी है। होम कैडर में लौटने से पहले वो सीमा सुरक्षा बल के खुफिया निदेशालय का नेतृत्व कर रही थी साथ ही हृ्रञ्जत्रक्रढ्ढष्ठ की संयुक्त सचिव भी थी। उन्हें वर्ष 2012 में सराहनीय सेवा के लिए प्रतिष्ठित पुलिस पदक से भी सम्मानित किया जा चुका है।