आपातकाल के 45 साल : शांता कुमार बोले लोकतंत्र की हत्या था इमरजेंसी का दौर
यंगवार्ता न्यूज़ - पालमपुर 25-06-2020
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता शांता कुमार ने कहा देश को 25 व 26 जून आपातकाल को हमेशा बड़ी गंभीरता से याद करते रहना चाहिए। 25 को आपातकाल की घोषणा हुई थी और 26 जून को पूरा देश जेल खाना बन गया था।
दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र एक पार्टी की राजशाही में बदल गया। संविधान निलंबित कर दिया गया। मूल अधिकार निलंबित कर दिए गए।
जेल में बंद हम सब की तरफ से जब न्यायालय में कहा गया कि हमें जीने का अधिकार भगवान ने दिया है और संविधान ने भी दिया है।
तब सरकार की ओर से कहा गया कि जीने का अधिकार भी समाप्त कर दिया गया है। यह भी याद रखना चाहिए कि तब कोई विदेशी आक्रमण नहीं हुआ था, न कोई भूचाल आया था और न ही बाढ़ आई थी।
केवल और केवल इंदिरा गांधी द्वारा चुनाव जीतने के लिए अवैध तरीके अपनाने के कारण इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उन्हें अयोग्य ठहराया था।
वे प्रधानमंत्री नहीं रह सकती थीं। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को इसलिए जेलखाना बनाया गया क्योंकि जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में समग्र क्रांति का आंदोलन सफल हो रहा था और इंदिरा गांधी की कुर्सी चली गई थी।
उन्होंने कहा स्वतंत्रता आन्दोलन के योद्धा जयप्रकाश नारायण जिन्होने अंग्रेजों की जेल को तोड़ कर आजादी की लड़ाई लड़ी थी, उन्हें भी जेल में बंद कर दिया गया। इतना ही नहीं उन्हें देश का शत्रु बताया गया।
यह भी याद रखना चाहिए कि 1977 का चुनाव भारत के इतिहास में एकमात्र ऐसा चुनाव है, जिसे पार्टियाें ने नहीं जनता ने लड़ा।
शांता कुमार ने कहा हम जेलों से निकले थे, कुछ नहीं था हमारे पास। जनता ही पार्टी बन गई और जनता का धन ही पार्टी का कोष बन गया।
शांता कुमार ने कहा हमें याद रखना चाहिए कि उस समय का आंदोलन देश में बढ़ते भ्रष्टाचार के विरूद्ध था, क्योंकि भ्रष्टाचार सबसे बड़ा शत्रु है।
गरीबी का सबसे बड़ा कारण है। आज भारत में लोकतंत्र की जड़ें तो पूरी तरह से मजबूत हुई हैं। लेकिन दुर्भाग्य से भ्रष्टाचार कहीं-कहीं अभी भी पनप रहा है।
हम सबको उससे खबरदार रहने की आवश्यकता है। उन्होंने उस समय के नाहन जेल के अपने साथियों को भी याद किया। उनमें से बहुत से इस दुनिया को छोड़ कर चले गए हैं, उन्हें भी श्रंद्धाजलि दी।