इंजीनियर ने बचाई 30 लोगों की जिंदगी, अंधेरे में पहाड़ी पर चढ़कर बंद की पानी की सप्लाई
यंगवार्ता न्यूज़ - मंडी 17-05-2020
आपदा के समय अगर इंजीनियर अरुण शर्मा ने हिम्मत नहीं दिखाई होती व सूझबूझ का परिचय नहीं दिया होता 30 लोगों की जान चली जाती। अरुण शर्मा 30 लोगों के लिए फरिश्ता बन गए।
मोबाइल फोन की रोशनी के सहारे पहाड़ी पर चढ़कर पैन स्टॉक के व्हील बंद कर जलाशय से आ रही पानी की सप्लाई रोकी। ऐसा कर अरुण ने प्रोजेक्ट को होने वाला नुकसान भी कम किया। अगर पानी की सप्लाई निरंतर बनी रहती तो पाॅवर हाउस पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो सकता था। अरुण शर्मा ऊहल तृतीय बिजली प्रोजेक्ट में अधिशाषी अभियंता हैं।
डिनर करने के बाद अपने आवास पर थे। रात को कुछ शोर सुनाई दिया। एकाएक क्षेत्र में बिजली गुल हो गई। चारोंं तरफ अंधेरा छा गया। वह पाॅवर हाउस की तरफ भागे। पाॅवर हाउस में पानी भरा देख व अंदर फंसे इंजीनियरोंं व कर्मचारियों के चिल्लाने की आवाजें सुनकर सहम गए।लेकिन तुरंत खुद को सदमे से बाहर निकाला।
मोबाइल फोन की रोशनी के सहारे पहाड़ी चढ़ना शुरू कर दी। पैन स्टॉक में पाॅवर हाउस से करीब 150 मीटर की दूरी पर धमाका हुआ था। पैन स्टॉक की पाइप फट गई थी। वहीं से पानी पाॅवर हाउस पर वार कर रहा था। इसी से कुछ दूरी पर पाॅवर हाउस को पैन स्टॉक से पानी की आपूर्ति बंद करने के लिए व्हील लगे हुए थे।
कड़ी मशक्कत के बाद अरुण शर्मा ने व्हील को बंद किया। इसके बाद जलाशय से आ रही पानी की सप्लाई रुकी। इसके बाद पाॅवर हाउस में पानी व मलबा जाना बंद हुआ।
व्हील बंद कर अरुण शर्मा पहाड़ी से उतरे। पावर हाउस के बाहर जाकर मोबाइल से रोशनी कर अंदर फंसे लोगों को ढांढस बंधाया कि वह हिम्मत न हारें। पैन स्टॉक के व्हील बंद कर दिए हैं।
पैन स्टॉक फटने के बाद धमाके के साथ चंद सेकेंड में सैलाब की तरह पानी पावर हाउस की दीवार को क्षतिग्रस्त कर अंदर घुस गया। अंदर काम कर रहे इंजीनियर पानी के सैलाब में तिनके की तरह बहने लगे। इंजीनियरोंं व कर्मचारियों की जान पर दोहरा संकट मंडरा गया।
एक तरफ पानी का स्तर लगातार बढ़ रहा था, दूसरी तरफ शार्ट सर्किट से करंट लगने का खतरा पैदा हो गया। पानी व करंट से बचते बचाते सभी लोग पाॅवर हाउस के अंदर लगी क्रेन पर चढ़ गए।
पावर हाउस के सारे उपकरण बंद हो गए। सिग्नल जवाब दे गया। जब जलस्तर कम हुआ तो अंदर फंसे लोग बाहर निकले। इसके बाद इनकी सांस में सांस आई।