ऐतिहासिक रिज मैदान के धंस रहे हिस्से को बचाने के लिए अब 67 करोड़ रुपये होंगे खर्च
ऐतिहासिक रिज मैदान के धंस रहे हिस्से को बचाने के लिए अब 67 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ेंगे। लोक निर्माण विभाग ने इस प्रोजेक्ट के डिजाइन में बदलाव किया है। आईआईटी रुड़की की टीम ने निरीक्षण के बाद डिजाइन में बदलाव करने के निर्देश
यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 29-11-2022
ऐतिहासिक रिज मैदान के धंस रहे हिस्से को बचाने के लिए अब 67 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ेंगे। लोक निर्माण विभाग ने इस प्रोजेक्ट के डिजाइन में बदलाव किया है। आईआईटी रुड़की की टीम ने निरीक्षण के बाद डिजाइन में बदलाव करने के निर्देश दिए थे।
विभाग के अनुसार पहले आईआईटी की ओर से तैयार किए डिजाइन के मुताबिक ही मौके पर काम शुरू किया था। स्मार्ट सिटी मिशन के इस प्रोजेक्ट का काम एक कंपनी ने करीब 26 करोड़ रुपये में लिया है। काम शुरू करने के बाद हाल ही में आईआईटी की टीम ने दोबारा धंसते रिज का जायजा लिया था। इसमें कार्य का भी निरीक्षण किया गया।
रिज पर पाइल्स स्ट्रक्चर (पिलर) बनाने के लिए मशीनों से ड्रिलिंग की जा रही है। इसमें सामने आया था कि पक्की सतह काफी गहराई पर है। इसके बाद आईआईटी ने डिजाइन में बदलाव किया ताकि पक्का ढांचा बनाया जा सके। इससे काम की लागत करीब ढाई गुना बढ़ गई है।
अब 26 करोड़ की जगह 67 करोड़ रुपये से रिज को पक्का किया जा सकेगा। काम बढ़ने से अब जून 2023 में इस प्रोजेक्ट के पूरा होने की उम्मीद भी कम है। अगले साल के अंत तक ही इसका काम पूरा हो सकता है।
लोक निर्माण विभाग ने इस बारे में स्मार्ट सिटी से भी अतिरिक्त बजट जारी करने की मांग की है। विभाग का कहना है कि आईआईटी के बदले हुए डिजाइन के अनुसार ही मौके पर काम किया जा रहा है।
प्रोजेक्ट में अब सीमेंट के एक लाख अतिरिक्त बैग लगेंगे। विभाग के अनुसार आईआईटी की टीम ने पाइल्स स्ट्रक्चर के बीच की जगह को कम कर दिया है। एंकरिंग को बढ़ाया है। निर्माण कार्य में इस्तेमाल होने वाले स्टील और सीमेंट की मात्रा भी बढ़ा दी है। नींव के आसपास अब कंकरीट का इस्तेमाल ज्यादा होगा। पाइल्स और स्ट्रक्चर की 15 से 20 मीटर गहराई और बढ़ी है।
रिज प्रोजेक्ट की शुरुआत के बाद आईआईटी की टीम को दोबारा बुलाया था। इसने मौके पर काम देखने के बाद प्रोजेक्ट को मजबूती देने के लिए डिजाइन में बदलाव किया है। अब इसी बदलाव के अनुसार काम किया जाएगा। इसके चलते लागत बढ़ जाएगी।
-प्रवीण वर्मा, अधिशासी अभियंता, लोक निर्माण विभाग