कोरोना वीर पुलिस अधिकारी का कवि हृदय आया सामने, लिख डाली कोरोना पर कविता
हमने ठानी मन में आज कोरोना भगाने की, विश्व भर में लगी है आग जीने और मर जाने की
यंगवार्ता न्यूज़ - पांवटा साहिब 28 April 2020
हमने ठानी मन में आज कोरोना भगाने की, विश्व भर में लगी है आग जीने और मर जाने की। कहाँ से आया? कैसे आया? वक़्त लगा पहचानने में, है ऐसा अदृश्य वायरस जिसको विश्व ने पा लिया अनजाने में।
इसके पथ में जो आया, बच ना पाया खो गया जमाने से, बेबस हुआ पूरा विश्व इससे पार पाने को, चौतरफा हाहाकार मची है इस वायरस को दूर भगाने की।
हमने ठानी मन में आज कोरोना को भगाने की। हुआ अमेरिका पर वायरस का हमला तब उसने भी पहचानी थी। फ्रांस, ब्रिटेन, इटली और रशिया तक ने आस लगाई खुद का वजूद बचाने की। है भारतवर्ष अग्रणी देश जिसने विश्व को राह दिखाई वायरस से जान बचाने की। कभी नमस्ते से, तो कभी सोशल डिस्टेन्सिंग से, कभी कर्फ्यू और लॉकडाउन से इस महामारी को दूर भगाने की।
हमने ठानी मन मे आज कोरोना को भगाने की। सुनी कर दी गलियाँ जिसने, वीरान कर दी सड़के जिसने ऐसे दस्तक दी अपने आने की, उजाड़ दिए सिन्धूर ही जिसने, उजाड़ दिए आशियानें ही मानव के, तो भारत ने, तो भारत ने कभी ताली से, तो कभी थाली की गुँजन से, कभी दीपक से, तो कभी फूल और माला से, मान बढ़ाया शूरवीरों का।
जो रात ना सोयें दिन ना सोयें, उठ उठकर एक आंस संजोये बस सोचे महामारी से सबकी जान बचाने की। हमने ठानी मन मे आज कोरोना भगाने की। मान गए इस महामारी को जिसने पाठ पढ़ाया मानव को, मानवता दिखाने की।
ना हिन्दू देखा, न मुस्लिम देखा, न देखा सिख ईसाई इस महामारी ने , है प्रकृति का नजारा जो विवश किया मानव को, मानव की जाति बताने की, आओ मिलकर लड़े, लड़ाई इस मानव जीवन को बचाने की, हमने ठानी है मन मे आज कोरोना को भगाने की , विश्व भर में लगी है आग जीने और मर जाने की।