कार्यालय डिनोटिफाई करने पर हाईकोर्ट सख्त, हिमाचल सरकार को नोटिस जारी कर मांगा जवाब
हिमाचल हाईकोर्ट ने कांग्रेस सरकार को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने पिछली सरकार द्वारा खोले गए नए कार्यालयों को डिनोटिफाई करने के आदेशों को चुनौती देने से जुड़े मामले में मुख्य सचिव और सामान्य प्रशासन विभाग ( जीएडी ) के सचिव को नोटिस जारी
यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 05-01-2023
हिमाचल हाईकोर्ट ने कांग्रेस सरकार को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने पिछली सरकार द्वारा खोले गए नए कार्यालयों को डिनोटिफाई करने के आदेशों को चुनौती देने से जुड़े मामले में मुख्य सचिव और सामान्य प्रशासन विभाग ( जीएडी ) के सचिव को नोटिस जारी किया।
प्रार्थी सुरेश कश्यप ने बिना कैबिनेट बनाए ही पूर्व सरकार के फैसलों को रद करने के खिलाफ याचिका दायर की है। मुख्य न्यायाधीश अमजद ए सैयद व ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने प्रदेश BJP अध्यक्ष सुरेश कश्यप द्वारा दायर याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के दौरान यह आदेश पारित किए।
प्रार्थी की ओर से याचिका में यह आरोप लगाया गया है कि नई सरकार ने बिना कैबिनेट बनाए ही पूर्व सरकार द्वारा नए कार्यालयों को डिनोटिफाई करने का फैसला ले लिया। जबकि कैबिनेट के फैसले को कैबिनेट ही रद करने की शक्ति रखती है। नई सरकार द्वारा जारी प्रशासनिक आदेशों से कैबिनेट के फैसले को निरस्त नहीं किया सकता।
याचिका में दलील दी गई है कि नई सरकार ने संवैधानिक प्रावधानों के विपरीत कार्य किया है। प्रार्थी ने राज्य सरकार के 12 दिसंबर को जारी प्रशासनिक आदेश को निरस्त करने की हाई कोर्ट से गुहार लगाई है। प्रार्थी का कहना है कि पूर्व सरकार ने सभी फैसले कैबिनेट के माध्यम से कानून के दायरे में रहकर लिए थे।
12 दिसंबर को राज्य सरकार ने मेडिकल कॉलेजों को छोड़कर सभी विभागों के अधिकारियों को दिए गए सेवा विस्तार को समाप्त करने के आदेश पारित कर दिए। यही नहीं नई सरकार ने निगमों व बोर्डों के अध्यक्षों व उपाध्यक्ष, सदस्यों व अन्य कमेटियों तथा शहरी निकायों में सदस्यों की नियुक्तियों को रद्द कर दिया।
हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग और कर्मचारी चयन आयोग को छोड़कर सभी सरकारी विभागों बोर्डों, निगमों और निकायों में चल रही सभी तरह की भर्ती प्रक्रिया को रोक लिया गया है। कोर्ट को बताया गया कि स्वास्थ्य विभाग के मेडिकल कॉलेजों और संस्थानों में की जा रही भर्तियों को नहीं छेड़ा गया।
यही नहीं जिन अधिकारियों व कर्मचारियों के तबादले किए गए थे, उन पर अमल न किए जाने का निर्णय लिया गया। प्रार्थी की ओर से यह आरोप लगाया गया है कि नई सरकार द्वेष की भावना से कार्य कर रही हैं।