कृषि कानून के खिलाफ अब सर्वोच्च अदालत की शरण मे अन्नदाता , दायर की याचिका...
न्यूज़ एजेंसी - नई दिल्ली 12-12-2020
कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे किसानों ने अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। भारतीय किसान यूनियन की ओर से दायर याचिका में कहा है कि नए कानून उन्हें कारपोरेट लालच का शिकार बना देंगे।
सरकार से कई दौर की बातचीत और संशोधन प्रस्ताव खारिज करने के बाद किसानों ने एक तरफ आंदोलन तेज करने का फैसला किया है, तो दूसरी तरफ उन्होंने न्यायपालिका का भी सहारा लिया है।
किसानों ने यह कदम केंद्र सरकार के उस प्रस्ताव को खारिज करने के बाद उठाया है, जिसमें मोदी सरकार ने कहा है कि वह कानून के उन प्रावधानों में संशोधन को तैयार हैं, जिनको लेकर उन्होंने आपत्ति जताई है।
सरकार ने एमएसपी पर लिखित में भरोसा देने की बात कही है, तो यह भी आश्वासन दिया है कि कांट्रैक्ट फार्मिंग में करार केवल फसल के लिए होगा, इसलिए जमीन पर कोई कब्जा नहीं कर सकता है। हालांकि, किसान कानूनों को वापस लेने पर अड़ गए हैं।
किसानों ने कहा है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे रेल पटरियों को भी जाम कर देंगे और इसको लेकर जल्द ही तारीख का ऐलान करेंगे।
राजधानी दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे किसानों ने कहा है कि वे 14 दिसंबर को देशव्यापी प्रदर्शन करेंगे और 12 दिसंबर से दिल्ली-जयपुर नेशनल हाईवे को भी ब्लॉक कर देंगे।
केंद्र सरकार के कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शुक्रवार को भी कहा कि किसानों को आंदोलन छोड़कर बातचीत करनी चाहिए।
सरकार ने हाल ही में एक 20 पन्नों का प्रस्ताव किसानों के पास भेजा था। इस प्रस्ताव में कानून में कई प्रकार करने के संशोधन की बात की गई थी।
मोदी सरकार की ओर से लाए गए तीनों कृषि कानूनों के भारी विरोध के बीच अब भाजपा ने बड़े पैमाने पर जनजागरण अभियान चलाने की तैयारी की है।
देश में सात सौ से अधिक स्थानों पर प्रेस कान्फ्रेंस और किसान चौपाल के जरिए किसानों के लिए बने कानूनों पर फैलाई गई भ्रांतियों को तथ्यों के जरिए पार्टी नेता दूर करेंगे। चौपालों का आयोजन तत्काल प्रभाव से शुरू होगा।