किसान संबंधी विधेयक को कांग्रेस ने बताया इतिहास के लिए काला दिन बोली, लोकतंत्र की हुई हत्या

किसान संबंधी विधेयक को कांग्रेस ने बताया इतिहास के लिए काला दिन बोली, लोकतंत्र की हुई हत्या

न्यूज़ एजेंसी - नई दिल्ली 20-09-20

कांग्रेस ने कहा है कि राज्यसभा में किसान संबंधी विधेयक को जिस तरह से पारित कराया गया है, वह असंवैधानिक तथा किसानों के खिलाफ है और इससे आज के दिन को देश के इतिहास में ‘काला दिन’ के रूप में याद किया जाएगा। कांग्रेस नेता अहमद पटेल, प्रताप सिंह बाजवा, अभिषेक मनु सिंघवी तथा शक्ति सिंह ने रविवार को कहा कि इस विधेयक को राज्यसभा में जिस तरह से पारित कराया गया है वह लोकतंत्र की हत्या है।

सरकार के इसी रवैये को देखते हुए पार्टी उसके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाई है। उन्होंने कहा कि सरकार पहले भी मनमानी करती रही है। वह पहले भूमि अधिग्रहण विधेयक लेकर आई थी, लेकिन उसे इस विधेयक को वापस लेना पड़ा और अब खेती को कारपोरेट क्षेत्र को देना चाहते हैं। न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर जो बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दे रहे हैं उसमें सत्यता नहीं है।

यह कानून पूरी तरह से किसानों के खिलाफ है और इससे उन्हें भारी नुकसान होगा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के घोषणा पत्र में किसानों के संबंध में जो बात भारतीय जनता पार्टी कह रही है उसमें सच्चाई नहीं है और जब सरकार से इस बारे में सवाल पूछे जा रहे हैं तो उस पर वह कोई जवाब नहीं दे रही है।

कांग्रेस नेता प्रताप सिहं बाजवा ने कहा कि यह विधेयक इस समय लाने की जरूरत नहीं थी। इससे किसानों को भारी नुकसान होने वाला है। उनका कहना था कि इस समय पूरी सेना गलवान घाटी में चीन से मुकाबले के लिए खडी है और देश के समक्ष एक संकट है इसलिए विधेयक इस समय नहीं लाया जाना चाहिए था। अगर यह विधेयक लाना ही था तो अगले साल लाया जा सकता था, लेकिन सरकार को अपने कारपोरेट मित्रों का जल्द फायदा पहुंचाना था, इसलिए वह यह विधेयक लेकर आई है।

सिंघवी ने कहा कि विपक्ष ने मत विभाजन मांगा लेकिन सरकार ने क्रुर्रता से कानून पारित कर दिया और नियमों की धज्जियां उडा दी है। यह विधेयक संघीय ढांचे के विरुद्ध है। सरकार ने दिखा दिया है और उसका विश्वास टूटा हुआ है कि वह कोई विधेयक अपने बलबूते पर पारित नहीं करा सकती इसलिए सरकार ने यह विधेयक ऐसी स्थिति में पारित कराया है। नियमानुसार यह पारित ही नहीं हुआ है। इसी स्थिति को देखते हुए कांग्रेस ने व्यापक अविश्वास का प्रस्ताव पेश किया है।