कहां है सरकार का डिजिटल इंडिया, राशन कार्ड की केवाईसी के लिए चढ़नी पड़ी दो किलोमीटर की पहाड़ी
एक तरफ तो सरकार डिजिटल इण्डिया की बात करती है , दूसरी और हिमाचल के कुछ दुर्गम इलाके ऐसे हैं जहा नेटवर्क के लिए ग्रामीगो को कई किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। जिला कुल्लू के सैंज की अति दुर्गम पंचायत गाड़ापारली में राशनकार्ड धारकों की ई-केवाईसी करवाना किसी चुनौती से कम नहीं है
यंगवार्ता न्यूज़ - कुल्लू 23-05-2022
एक तरफ तो सरकार डिजिटल इण्डिया की बात करती है , दूसरी और हिमाचल के कुछ दुर्गम इलाके ऐसे हैं जहा नेटवर्क के लिए ग्रामीगो को कई किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। जिला कुल्लू के सैंज की अति दुर्गम पंचायत गाड़ापारली में राशनकार्ड धारकों की ई-केवाईसी करवाना किसी चुनौती से कम नहीं है। सिग्नल की तलाश में दो किलोमीटर की चढ़ाई चढ़कर पहाड़ी के ऊपर पहुंचना पड़ रहा है।
डिपो धारकों के लिए बुजुर्गों और महिलाओं का ई-केवाईसी करवाना मुश्किल हो रहा है। लोगों को डिपो धारक के साथ पहाड़ी पर चढ़कर राशन कार्ड और आधार कार्ड का मिलान कर ई-केवाईसी करवाना पड़ रहा है। पॉस मशीन में परिवार के सभी सदस्यों का अंगूठा लगाना जरूरी है। राशन कार्ड का आधार कार्ड से मिलान नहीं हो पाया तो उपभोक्ताओं को राशन नहीं मिलेगा।
रविवार को डिपो धारक धर्मचंद गाड़ापारली पंचायत के मैल गांव में उपभोक्ताओं के राशन कार्ड और आधार कार्ड का ई-केवाईसी करवाने गए थे। सिग्नल की तलाश में दो किलोमीटर ऊपर पहाड़ी पर चढ़ना पड़ा। इसके बाद उपभोक्ताओं का ई-केवाईसी हो पाया। पंचायत प्रधान यमुना देवी, उपप्रधान अजय ठाकुर और देव राज ने बताया कि पंचायत में सिग्नल न होने से लोगों को परेशानी हो रही है।
कई बार समस्या सरकार और जिला प्रशासन से उठाई, लेकिन समाधान नहीं हो पाया। यमुना देवी ने बताया कि मझाण में मोबाइल टावर लगाने की योजना ठंडे बस्ते में है। उपायुक्त आशुतोष गर्ग ने बताया कि सरकार दुर्गम गांवों को मोबाइल सिग्नल से जोड़ रही है। सरकार को अवगत करवाया है। यहां जल्द मोबाइल टावर लगने की उम्मीद है।