खास रिपोर्ट : पांवटा साहिब में खूंखार बंदरों के आतंक से लोग परेशान
सिरमौर के पावंटा साहिब में बंदरों के आतंक ने लोगों को रुला कर रख दिया है कई जगहों पर फसलों को नुकसान पहुंचाया तो कहीं घर के फ्रिज से सामान उठा ले गए। रिहायशी इलाकों में बंदरों का आतंक चौथे आसमान पर है। ऐसे में अब लोग भी डर के साए में जी रहे है
अंकिता नेगी - पांवटा साहिब 02-12-2022
सिरमौर के पावंटा साहिब में बंदरों के आतंक ने लोगों को रुला कर रख दिया है कई जगहों पर फसलों को नुकसान पहुंचाया तो कहीं घर के फ्रिज से सामान उठा ले गए। रिहायशी इलाकों में बंदरों का आतंक चौथे आसमान पर है। ऐसे में अब लोग भी डर के साए में जी रहे है।
बता दें कि पांवटा साहिब में बंदर पकड़ने के लिए विशेष टीम ऊना से बुलाई गई थी।इस टीम ने पांवटा साहिब की विभिन्न कॉलोनियों में जाकर बंदरों को पकड़ने की मुहिम भी चलाई। कुछ समय तक लोगों को राहत भी मिली लेकिन फिर से लोगों का जीना बंदरों ने मुहाल कर दिया है।
डीएफओ कुनाल अग्रिश ने जानकारी दी और कहा की अपनी और से वह पूरी कोशिश करते है और आम जनता परेशान न हो इसके लिए वन विभाग द्वारा वर्मिन करने का प्रावधान चलाया गया है। वर्मीन करने से अभिप्राय यह है कि यदि आम जनता जनार्दन इन जंगली जानवरों को पकड़ने में वन विभाग की मदद करते हैं या उन्हें खुद से पकड़ कर जंगलों इत्यादि में भेजते हैं तो इनके खिलाफ कोई कार्यवाही वन विभाग द्वारा नहीं की जाएगी।
वन विभाग में एक मुहिम जारी की जिसके अंतर्गत बंदरों को पकड़कर स्टरलाइजेशन सेंटर ले जाकर उन्हें नसबंदी कर जंगलों में वापस छोड़ा जाता है ताकि बंदरों की तादात में कमी आ सके।
ज्यादा दूर नही जाएंगे लेकिन कुणाल अंगरीश ने कहा की पिछले 3 साल में उन्होंने लगभग 3000 से अधिक बंदरों को पकड़कर नसबंदी कर उन्हें वापस जंगलों में छोड़ा है जिसके बाद बंदरों की तादात में काफी बड़े स्तर पर कमी देखने को मिली है।
उधर सब्ज़ीमंडी के तहत रहने वाले कृषि अधिकारी राजेश ने कहा की शहरी क्षेत्रों में बंदरों का आतंक दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। लोगों को धूप में कपड़े सुखाने तक मुश्किल हो रहा है। यही नही बल्कि सर्द मौसम में धूप की सेंक लेना भी बंदरों ने मुहाल कर दिया है।
यदि इस वर्ष की की जाए तो इस वर्ष भी वन विभाग द्वारा काफी मात्रा में रिहायशी इलाकों से बंदरों को पकड़कर उन्हें मंकी स्टेरलाइजेशन सेंटर में ले जाकर नसबंदी कर वापस जंगलों में छोड़ा गया। लगभग 450 के करीब बंदर इस वर्ष पावंटा साहिब के रिहायशी इलाकों से पकड़े गए हैं और इससे अधिक बंदरों को पकड़ उन्हें जंगलों में भेजने के बारे में उच्च अधिकारियों को पत्र भेजा गया है।
डीएफओ कुणाल अंगरीश ने जानकारी देते हुए कहा कि वन विभाग द्वारा एक प्रावधान उन लोगों के लिए भी है जिन लोगों को बंदरों द्वारा काट लिया जाता है उन्हें वन विभाग मुआवजा प्रदान करता है, जिसके लिए पीड़ित व्यक्ति को अपने मेडिकल स्लिप के साथ वन विभाग को सबूत पेश करने होते हैं जिसके आधार पर उन्हें वन विभाग द्वारा मुआवजा दिया जाता है।
मंकी कैचिंग टीम ने अब तक करीब 425 के लगभग बंदरों को पकड़कर मंकी कंट्रोल सेंटर में ले जाकर नसबंदी कर उन्हें वापस जंगलों में छोड़ दिया है, उम्मीद है आने वाले समय में बंदरों की जनसंख्या को रोकने में मदद मिलेगी।
डीएफओ कुणाल ने आम जनता जनार्दन से अपील करते हुए कहा कि रिहायशी एवं अन्य सार्वजनिक स्थानों पर खाने पीने की चीज है या कूड़ा करकट खुले रुप से ना फेंके तभी पूर्ण रूप से बंदरों की संख्या जनसंख्या पर पूर्णता विराम लगाया जा सकता है। लोगों द्वारा खुले में खाना-पीना फेंकने से बंदरों की जनसंख्या वृद्धि होना स्वभाविक है।
सिविल अस्पताल पांवटा साहिब के एसएमओ डॉक्टर अमिताभ जैन ने बताया कि इस वर्ष जनवरी माह में 2 फरवरी में 5 मार्च में 13 अप्रैल माह में 15 मई में 9 जून में 15 जुलाई में 25 अगस्त में 20 सितंबर में 15 अक्टूबर में 11 बंदरों के काटने के मामले आएं है। कुल मिलाकर औसतन बात की जाए तो सन 2022 में कुल मिलाकर ओपीडी और कैजुअल्टी के कुल 130 मामले सामने आए हैं। जो सिविल अस्पताल पहुंचा साहिब से इलाज के दौरान दूरस्त हुए हैं।
उधर नगर परिषद के कार्यकारी अधिकारी अजमेर सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि पांवटा साहिब में बंदरों की समस्या रिहायशी इलाकों में एक गंभीर समस्या के रूप में सामने आ रही है लोगों का घरों से निकलना मुश्किल हो गया है। बच्चे अकेले बाजार स्कूल या घर के बाहर तक खेलने नहीं जा सकते हैं क्योंकि बंदर मौका पाते ही इंसानों पर हमला कर देते हैं।
उन्होंने बताया कि आचार संहिता के खत्म होते ही नगर परिषद की पहली बैठक में इस बारे में विचार विमर्श किया जाएगा। जिसके बारे में एसडीएम पांवटा विवेक महाजन के निर्देशों के अनुसार नगर परिषद को बंदरों को पकड़ने के लिए निर्देश जारी किए गए हैं।
कृषि विकास अधिकारी रश्मि भटनागर ने यंगवार्ता न्यूज़ को बताया कि पांवटा साहिब में जंगली जानवर किसानों की एक गंभीर समस्या के रूप में सामने आया है, क्योंकि अक्सर इन जानवरों की वजह से किसानों की फसलों को भारी नुकसान होता है जिसकी वजह से किसान हताश हो जाते हैं। उनका कहना यह है की उनके पास काफ़ी मौखिक शिकायतें किसानों की आई है जो की बंदरों से ही नही बल्कि अन्य जंगली जानवरों से भी बहुत परेशान है।
किसानों से आग्रह कर कृषि विकास अधिकारी रश्मि भटनागर ने कहा कि किसानों से अपील है कि वे लोग अपनी फसलों को बचाने के लिए अपने खेतों में सोलर फेंसिंग का इस्तेमाल करें जो कि द्वारा सब्सिडी के साथ मुहैया करवाई जाती है, और घरेलू पशुओं से कोई नुकसान ना हो इसके लिए वे अपने पशुओं जानवरों को बांधकर रखें।
उन्होंने प्रशासन से अपील की है कि उनके बच्चे घर स्कूल कहीं भी सुरक्षित नहीं है इसलिए बंदरों से बचाव के लिए बंदरों को पकड़कर कहीं ऐसी जगह छोड़ा जाए जहां पर बच्चों बड़ों किसी को भी जान का नुकसान ना हो। हालांकि इसके बाद यंगवार्ता न्यूज़ ने कई वार्डो में सम्पर्क किया तो फीडबैक मिला की यहाँ से बंदरों को रिसक्यू किया गया है अब वह राहत में है।