चंबा की सीमा ने जिद और जुनून से जीती जिंदगी की दौड़ , गरीबी में गुजरा बचपन , मगर नहीं मानी हार 

गुजरात में आयोजित 36वें नेशनल गेम्स में हिमाचल की एथलीट सीमा ने लगातार दो दिन दमदार प्रदर्शन कर देश का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट किया है

चंबा की सीमा ने जिद और जुनून से जीती जिंदगी की दौड़ , गरीबी में गुजरा बचपन , मगर नहीं मानी हार 

 

यंगवार्ता न्यूज़ - धर्मशाला  09-10-2022
 
गुजरात में आयोजित 36वें नेशनल गेम्स में हिमाचल की एथलीट सीमा ने लगातार दो दिन दमदार प्रदर्शन कर देश का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट किया है। सीमा ने पहले 5,000 मीटर में रजत और अगले ही दिन 10,000 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीतकर साबित कर दिया कि पहाड़ी प्रदेशों के एथलीट अलग ही मिट्टी के बने होते हैं। 
 
 
सीमा ने 33 मिनट 08 सेकेंड में यह दौड़ पूरी की। अब सीमा का लक्ष्य अगले साल सितंबर में चीन के ग्वांग्झू में होने वाले एशियन गेम्स हैं। 21 वर्षीय यह एथलीट अब तक जूनियर और सीनियर वर्ग में 22 राष्ट्रीय पदक जीत चुकी है। चार बार अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भी चमक बिखेरी है। यही नहीं, सीमा के नाम नेशनल यूथ एथलेटिक्स चैंपियनशिप सहित चार नेशनल रिकार्ड हैं। 
 
 
इस समय सीमा भोपाल में सेंटर आफ एक्सीलेंस में प्रशिक्षण ले रही हैं। पहाड़ी राज्य हिमाचल के दूरदराज और पिछड़े जिला चंबा के दुर्गम गांव रेटा की सीमा ने 15 साल पहले कामयाब एथलीट बनने का सपना देखा था। 12 साल की थी जब सिर से पिता का साया उठ गया। घर की वित्तीय स्थित ठीक नहीं थी। जीवन यापन का साधन थोड़ी सी खेती और पशुपालन ही था। गुजारा मुश्किल से होता था। 
 
 
लेकिन बचपन से ही जिद थी कि जीवन बदलना है। कुछ अलग करना है। इसलिए इस बच्ची ने खेतों की पगडंडियों में दौड़ लगाना शुरू कर दिया। बाद में स्कूल स्तर की प्रतियोगिताओं में सफलताएं मिलीं, जिला और फिर राज्य स्तर तक यह क्रम बना रहा। सीमा ने बताया कि अब लक्ष्य चीन के ग्वांगझू में अगले साल होने वाले एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतना है। 
 
 
यह आयोजन वर्ष के सितंबर में होगा। इसके लिए ट्रायल अप्र्रैल में शुरू हो जाएंगे। इसलिए अभी घर न जाकर तैयारी कर रही हूं। युवा एथलीट कहती हैं कि इन खेलों में पदक जीतना बेशक बड़ी चुनौती है लेकिन राष्ट्रीय खेलों में सफलता हासिल कर आत्मविश्वास में इजाफा हुआ है और भोपाल में सेंटर आफ एक्सीलेंस में विश्वस्तरीय कोच हमें प्रशिक्षण दे रहे हैं।