छठे वेतन आयोग की सिफारिशों को लेकर अब लामबंद हुए डॉक्टर , बनाई संयुक्त संघर्ष समिति

हिमाचल प्रदेश में छठे वेतन आयोग की सिफारिशों को लेकर विरोध शुरू हो चुका है।

छठे वेतन आयोग की सिफारिशों को लेकर अब लामबंद हुए डॉक्टर , बनाई संयुक्त संघर्ष समिति

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला  12-01-2022

हिमाचल प्रदेश में छठे वेतन आयोग की सिफारिशों को लेकर विरोध शुरू हो चुका है। चिकित्सकों ने आरोप लगाया है कि चिकित्सक कोरोना से लगातार दो-दो हाथ कर रहे हैं। लेकिन उनके साथ दोयम दर्जे का व्यवहार किया जा रहा है। जो छठे वेतन आयोग की सिफारिशों में सामने आया है।
 
इसी का परिणाम है कि सभी चिकित्सक चाहे मेडिकल कालेज या अन्य संस्थानों में तैनात हैं उन्होंने छठे वेतन आयोग की सिफारिशों से हो रहे नुकसान को दूर करने के लिए संयुक्त संघर्ष समिति का गठन कर दिया है।
 
 प्रदेश के सभी चिकित्सक चाहे वह मेडिकल कालेजों का शिक्षक वर्ग है, चाहे मेडिकल कॉलेज के रेजिडेंट डॉक्टर्स फील्ड के स्वास्थ्य संस्थानों के डॉक्टर हैं, सभी पे कमीशन विसंगतियों के विरोध में एकजुट हैं। समिति में प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेज के शिक्षक चिकित्सक संघ, सभी रेजिडेंट डाक्टर संघ शामिल हैं।
 
हिमाचल प्रदेश डेंटल मेडिकल ऑफिसर संघ, हिमाचल प्रदेश वेटरनरी चिकित्सक संघ भी इस संयुक्त संघर्ष समिति के प्रमुख सदस्य हैं। हिमाचल प्रदेश मेडिकल आफिसर संघ के महासचिव डा. पुष्पेंद्र वर्मा ने कहा संयुक्त संघर्ष समिति ने बैठक में यह फैसला किया कि हिमाचल प्रदेश मेडिकल ऑफिसर संघ की तरफ से जो पत्र मुख्यमंत्री को लिखा गया है उसके तहत इस वेतन आयोग की वेतन विसंगतियां जो कि चिकित्सकों के हितों पर कुठाराघात है, उनको जल्द दूर किया जाए। 
 
सभी अनुबंध  कर्मचारियों को नियमित करने की अधिसूचना के साथ पदभार संभाल लिया अभी तक कोई आदेश नहीं। प्रदेश के  मेडिकल कॉलेज  के चिकित्सक शिक्षक वर्ग की तरक्की कई वर्षों से रुकी पड़ी है। मेडिकल कॉलेजों में कमीशन से सीधे एसोसिएट प्रोफेसर के पदों पर भर्ती होना।
 
 प्रदेश के विशेषज्ञ कई वर्षों से पीजी अलाउंस को बढ़ाने की मांग कर रहे हैं जो कई वर्षों से सात हजार है। नए आयोग की सिफारिशों चिकित्सकों के एनपीए को 20 प्रतिशत किया है पहले की तर्ज पर 25 प्रतिशत हो। डाक्टरों के 4-9-14 टाइम स्केल को लागू किया जाए।