छह घंटे पांच फीट बर्फ के बीच पैदल चल देवलुओं ने चुंजवालाधार पहुंचाया देव रथ
सराज घाटी के देवता चुंजवाला ने सोमवार को 10,000 फीट की ऊंचाई पर चुंजवालाधार में स्थित अपने मूल स्थान पर शक्तियां अर्जित की। इस दौरान देवता के नवनिर्मित रथ की प्रतिष्ठा भी हुई।
यंगवार्ता न्यूज़ - मंडी 24-01-2022
सराज घाटी के देवता चुंजवाला ने सोमवार को 10,000 फीट की ऊंचाई पर चुंजवालाधार में स्थित अपने मूल स्थान पर शक्तियां अर्जित की। इस दौरान देवता के नवनिर्मित रथ की प्रतिष्ठा भी हुई।
देवलु हिमपात के बीच सुबह चार बजे देवता की कोठी घाट घाट मौहत से पैदल पांच फीट बर्फ के ऊपर छह घंटे का सफर कर चुंजवालाधार पहुंचे। देव चुंजवाला देवता के गुर सेसराम व कारदार बुधे राम दूमच ने कहा कि देवता के रथ को मरम्मत के लिए खोला गया था। मास माह में लगभग एक माह देवता के मंदिर के कपाट बंद रहते हैं। इस दौरान रथ का कार्य किया गया।
देवता के मोहरे को रथ पर स्थापित करने के बाद प्रतिष्ठा तक ढक कर रखा जाता है। सोमवार को देवता के रथ को सैकड़ों देवलु सुबह चार बजे मुख्य कोठी घाट गांव से चुंजवाला धार के लिए रवाना हुए। चार से पांच फीट बर्फ के बीच छह घंटे चलने के बाद रथ को ढककर मूल स्थान पर पहुंचा।
यहां पर मंत्रोच्चारण के साथ गाडु की प्रक्रिया को पूरा किया गया। इसके साथ ही देवता की प्रतिष्ठा पूरी हुई और देवता को मूल स्थान ( देयोरे ) से बाहर निकालकर आमजन मानस के दर्शनों के लिए रखा गया। इसके बाद हिमपात के बीच ही देवलु देवता को घाट मौहत गांव में मुख्य कोठी में लाए।
आज से देवता लोगों के घर देयोली सहित अन्य देव कार्यों में भाग लेंगे। देवता चुंजवाला सात हारों के देवता हैं। इसमें मुहांथ, लम्बा, मणी, नेहरा, जौणी, बूरणा, बिज हारियां हैं। इनको भगवान शिव का रूप माना जाता है। नि:संतान दंपती को देवता संतान देने की मनोकामना को पूरा करते हैं।
मनोकामना पूरी होने के बाद देवता के जगराते में आकर हाजिरी भरते हैं। देवता का हूम जगराता हर साल 15 और 16 मई को होता है।