यंगवार्ता न्यूज़ - कुल्लू 10-08-2022
हिमाचल प्रदेश राज्य अनुसूचित जाति के अध्यक्ष वीरेन्द्र कश्यप ने कहा कि आज जब समूचा राष्ट्र आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है और देश ने सभी क्षेत्रों में अभूतपूर्व तरक्की हासिल कर ली है, ऐसे में हिमाचल प्रदेश के अनेक गांव ऐसे हैं जिनका नाम जातियों के नाम से रखा गया है।
उन्होंने कहा कि गांवो के नाम से जाति विशेष के संबोधन को तुरंत हटाने की जरूरत है। राजस्व विभाग इस मामले में हस्तक्षेप करके नये नामकरण करवाए। वह आज कुल्लू के देव सदन में कुल्लू तथा भुंतर विकास खण्डों के पंचायती राज संस्थाओं व नगर निकायों के चुने हुए अनुसूचित जाति के प्रतिनिधियों के लिये आयोजित एक जागरूकता कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। कार्यशाला में 187 चुने हुए प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
वीरेन्द्र कश्यप ने कहा कि अनुसूचित जाति के लोगों के साथ किसी भी प्रकार के अत्याचार के निवारण के लिये सख्त कानून बनाए गए हैं। इनका कड़ाई के साथ पालन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पुलिस को अत्याचार के मामलों में अविलंब प्राथमिक सूचना रिपोर्ट दर्ज करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति के उत्पीड़न के ऐसे मामलों में डीएसपी से नीचे का अधिकारी जांच नहीं कर सकता।
एफआई आर न्यायालय में जाने पर पीड़ित व्यक्ति को मामले के आधार पर सरकार एक लाख रुपये से लेकर आठ लाख रूपये तक की मुआवजा राशि तीन किश्तों में प्रदान करती है। आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि अनुसूचित जाति वर्ग के लिये सरकार की अनेक कल्याणकारी योजनाएं हैं। उन्होंने चिंता जाहिर की कि अधिकांश लोगों को योजनाओं की जानकारी नहीं है। उन्होंने चुने हुए प्रतिनिधियों से लोगों तक जानकारी पहुंचाने की अपील की।
उन्होंने कहा कि इस वर्ग के लोगों को यदि समाज की ज्यादतियों से बचना है तो कानून व अपने अधिकारों की जानकारी होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि सरकार की योजनाएं निचले स्तर पर पहुंचनी चाहिए ताकि कोई एक भी पात्र व्यक्ति इनके लाभ से वंचित नहीं रहने पाए।
उन्होंने पंचायती राज संस्थाओं के चुने हुए प्रतिनिधियों से अपने-अपने गांव व वार्ड के लिये विकास की योजनाएं बनाने को कहा। उन्होंने कहा कि सभी योजनाओं का क्रियान्वयन पंचायत स्तर से हो रहा है। वीरेन्द्र कश्यप ने हा कि जब तक अनुसूचित जाति के लोगों की आर्थिकी मजबूत नहीं होगी, तब तक उनके सामाजिक कल्याण के बारे में कल्पना नहीं की जा सकती।