डीआरडीओ की डीजी 2 में पतंजलि का भी योगदान, मगर जिक्र नहीं करना दुर्भाग्य : बालकृष्ण
यंगवार्ता न्यूज़ - देहरादून 30-05-2021
पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि आयुर्वेद स्वयं एक विज्ञान है। आयुर्वेद को किसी विदेशी संस्था के प्रमाणीकरण की आवश्यकता नहीं है। आयुर्वेद शास्त्रों में चरक और सुश्रुत जैसे ऋषियों ने गहन शोध के बाद प्रयोग रूपी ज्ञान भरा है। आयुर्वेद का प्रमाणन हमारे शास्त्र करते हैं। हमें किसी अन्य पैथी की मुहर लगाने की आवश्यकता नहीं है।
आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि कोरोनिल कोई वैक्सीन नहीं, कोरोना की प्रामाणिक दवा है। पतंजलि अनुसंधानशाला में 300 वैज्ञानिकों के शोध का परिणाम है और विश्व भर में कोरोना की एकमात्र दवा है। विभिन्न देशों की वैक्सीन अभी आपात क्लिनिकल ट्रायल में दी जा रही है। वह ट्रायल है, दवा नहीं।
बालकृष्ण ने कहा कि हाल में विकसित कोरोना की दवा डीजी 2 के बारे में उन्होंने ही स्वास्थ्य मंत्रालय को जानकारी दी थी। दुर्भाग्य से दवा जारी करते हुए मंत्रालय ने पतंजलि के योगदान का जिक्र नहीं किया है।
इस जानकारी को गत वर्ष ही विश्व स्वास्थ्य जर्नल में प्रकाशन के लिए भेज दिया गया था। आचार्य बालकृष्ण ने बताया कि पतंजलि की ओर से तमाम बीमारियों के क्षेत्र में काम किया गया है। इनमें कैंसर भी शामिल है। हमारी दवाओं के क्लिनिकल ट्रायल पशुओं और मनुष्यों पर किए जाते हैं। उसके बाद ही शुगर, बीपी, हार्ट, फेफड़ों, मस्तिष्क, पेट आदि से संबंधित दवाएं बाजार में उतारी गई हैं।
कोरोना का इलाज ढूंढने का काम पतंजलि ने मार्च 2020 में शुरू कर दिया था। कोरोनिल का प्रयोग देश के अनेक बड़े अस्पताल भी करते हैं। परंतु आयुर्वेद को सम्मान नहीं देना चाहते। एलोपैथी में क्योर नामक शब्द नहीं है। जबकि आयुर्वेद रोगों को जड़ से मिटा देने वाली विद्या है।