न्यूज़ एजेंसी - नई दिल्ली 09-11-2021
लगातार बढ़ते पेट्रोल और डीजल की कीमतों ने आम जनता को त्रस्त कर दिया था। इससे राहत दिलाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने दिवाली के एक दिन पहले जनता को तोहफा देते हुए पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क को कम कर दिया।
इसके बाद ईंधन की कीमतों में 5 से 10 रुपये की कमी आई। केंद्र के निर्णय के बाद देशभर के कई राज्यों ने भी अपने यहां पेट्रोल-डीजल से वैट कम कर दिया। लेकिन, ज्यादातर गैर-भाजपा शासित राज्यों ने अपने यहां वैट कम करने से कन्नी काट ली। इसके बाद से ईंधन की राजनीति तेज हो गई है।
देशभर में ज्यादातर भाजपा शासित राज्यों ने केंद्र सरकार के निर्णय के बाद कदम से कदम मिलाकर अपने राज्य में पेट्रोल और डीजल पर लगने वाले वैट (वैल्यू एडेड टैक्स) को कम कर दिया। इससे राज्य में पेट्रोल और डीजल की कीमतें क्रमश : 05 रुपये और 10 रुपये तक कम हो गईं।
अपने यहां वैट में कटौती करने वाले राज्यों में गुजरात, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, त्रिपुरा, गोवा, उत्तराखंड, मणिपुर, असम, बिहार और हरियाणा समेत अन्य राज्य शामिल हैं। विपक्षी दलों का तर्क है कि केंद्र सरकार द्वारा ईंधन की कीमतों में कमी करना महज क्षति पूर्ति की कवायद है।
विपक्ष के अनुसार, हाल ही में 13 राज्यों की 29 विधानसभा सीटों और तीन लोकसभा क्षेत्रों में हुए उपचुनावों में हार का सामना करने के बाद केंद्र ने यह निर्णय लिया है। सत्तारूढ़ भाजपा सरकार ने हिमाचल प्रदेश में तीन विधानसभा सीटें और एक लोकसभा सीट खो दी, जिसके लिए खुद राज्य के भाजपा नेताओं ने महंगाई और ईंधन की कीमतों में तेजी को जिम्मेदार ठहराया।
पिछले सप्ताह पेट्रोलियम मंत्रालय की एक विज्ञप्ति को देखें तो अब 13 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश ऐसे हैं जिन्होंने अपने यहां पेट्रोल और डीजल पर लगने वाले वैट में किसी तरह की कोई कटौती की घोषणा नहीं की है। विज्ञप्ति के अनुसार, इनमें महाराष्ट्र, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, केरल, मेघालय, अंडमान और निकोबार, झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और राजस्थान शामिल हैं।