दो महीनों में हिमाचल के इस विद्यालय में नॉन मेडिकल के सभी छात्रों ने छोड़ा स्कूल

हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले की राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला तत्तापानी में 11वीं कक्षा में नॉन मेडिकल में दाखिल लेने वाले सभी 16 विद्यार्थियों ने दो महीने के भीतर ही स्कूल छोड़ दिया है। इसकी मुख्य वजह स्कूल में नॉन मेडिकल विषयों के अध्यापकों की तैनानी न हो पाना है। बच्चों की भविष्य को दांव पर लगता देख अभिभावकों ने तत्तापानी से स्कूल लीविंग

दो महीनों में हिमाचल के इस विद्यालय में नॉन मेडिकल के सभी छात्रों ने छोड़ा स्कूल

 

यंगवार्ता न्यूज़ - मंडी  24-05-2023
 
हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले की राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला तत्तापानी में 11वीं कक्षा में नॉन मेडिकल में दाखिल लेने वाले सभी 16 विद्यार्थियों ने दो महीने के भीतर ही स्कूल छोड़ दिया है। इसकी मुख्य वजह स्कूल में नॉन मेडिकल विषयों के अध्यापकों की तैनानी न हो पाना है। बच्चों की भविष्य को दांव पर लगता देख अभिभावकों ने तत्तापानी से स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट लेकर शिमला जिले के सुन्नी स्कूल में दाखिला करवा दिया है। 
 
 
 
एक ही स्कूल से 16 बच्चों के पलायन करने से प्रदेश सरकार के उच्च गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा देने के वायदों और दावों पर भी लोगों ने सवाल उठाने लगे हैं। प्रदेश सरकार ने लोगों की मांग पर राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला तत्तापानी में इसी साल नॉन मेडिकल की कक्षाएं शुरू की थीं। इसके बाद क्षेत्र के16 बच्चों ने नॉन मेडिकल विषय में दाखिला भी ले लिया। मगर दो महीने तक स्कूल में संबंधित विषयों के शिक्षक तैनात नहीं हुए। उन्होंने मैथ, फिजिक्स और केमिस्ट्री आदि विषयों के टीचर न भेजे जाने पर सभी छात्रों ने स्कूल छोड़ दिया है। दो महीने तक शिक्षकों के आने का इंतजार कर थक चुके अभिभावकों ने स्कूल लिविंग सर्टिफिकेट लेकर अब मजबूरन बच्चों की एडमिशन राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला सुन्नी में करा दी है। 
 
 
अब बच्चों में शिक्षा ग्रहण करने के लिए मजबूरन कई किलोमीटर का सफर कर सुन्नी स्कूल पहुंचना पड़ रहा है। इसमें छात्रों का कीमती समय भी बर्बाद हो रहा है। अभिभावकों ने बताया कि तत्तापानी स्कूल में प्रिंसिपल का पद भी करीब एक महीने से खाली है। यही नहीं नॉन मेडिकल की क्लासें भी टीजीटी ले रहे थे। ऐसे में बच्चों के भविष्य से हो रहे खिलवाड़ को रोकने के लिए अभिभावकों ने स्कूल को बदलना बेहतर समझा। अभिभावक लंबे समय से नॉन मेडिकल के शिक्षकों की तैनाती की मांग करते रहे। इसके लिए कई मंचों से मामले को उठाया गया। 
 
 
हैरानी की बात है कि क्वालिटी एजुकेशन के दावा करने वाली सरकार अभिभावकों की मांग को लेकर गंभीर नजर नहीं आ रही है। स्कूल प्रबंधन समिति के अध्यक्ष हेमा शर्मा ने बताया कि तत्तापानी स्कूल में नॉन मेडिकल के टीचर न होने का मामला शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर के समक्ष भी उठाया है। शिक्षक न होने से बच्चों का भविष्य खराब हो रहा था, इसलिए अभिभावकों ने सभी छात्रों के स्कूल लिविंग सर्टिफिकेट ले लिए हैं। 
 
 
अगर सरकार जल्द से जल्द टीचर भेजती है तभी छात्र तत्तापानी स्कूल में दोबारा एडमिशन ले सकते हैं। उधर उप निदेशक उच्च शिक्षा मंडी अमरनाथ ने बताया कि मामला सरकार के ध्यान में है। जल्द ही राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला तत्तापानी में नॉन मेडिकल टीचर की तैनाती की जाएगी ताकि छात्रों की पढ़ाई बाधित न हो।