देश में हिमाचल प्रदेश समेत पर्वतीय राज्यों की जलशोधन तकनीक बनेगी मॉडल 

देश में हिमाचल प्रदेश समेत पर्वतीय राज्यों की जलशोधन तकनीक मॉडल बनेगी। जलशक्ति विभाग की ओर से पानी को शुद्ध करने के लिए स्लो सैंड फिल्टर और रैपिड सैंड फिल्टर विधियों को जहां संभव हो, वहां लागू किया जाएगा

देश में हिमाचल प्रदेश समेत पर्वतीय राज्यों की जलशोधन तकनीक बनेगी मॉडल 

यंगवार्ता न्यूज़ - मंडी      07-01-2023

देश में हिमाचल प्रदेश समेत पर्वतीय राज्यों की जलशोधन तकनीक मॉडल बनेगी। जलशक्ति विभाग की ओर से पानी को शुद्ध करने के लिए स्लो सैंड फिल्टर और रैपिड सैंड फिल्टर विधियों को जहां संभव हो, वहां लागू किया जाएगा। इससे पानी का शोधन बेहतर ढंग और सस्ते संसाधनों से किया जा सकेगा। 

इसका खुलासा शुक्रवार को मंडी के ढांगसीधार में जल शक्ति विभाग के राज्य प्रशिक्षण केंद्र में अधिकारियों के प्रशिक्षण कार्यक्रम में हुआ। जल शक्ति विभाग के अधीक्षण अभियंता (डिजाइन) विकास कपूर ने इसकी पुष्टि की। इस कार्यक्रम में देशभर के पेयजल संबंधित अधिकारियों ने हिस्सा लिया। 

कांगणी वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में ले जाकर स्लो सैंड फिल्टर और रैपिड सैंड फिल्टर विधियों के बारे में विस्तृत जानकारी दी। कार्यशाला में हिमाचल सहित पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, राजस्थान, महाराष्ट्र, गोवा  के इंजीनियरों ने हिस्सा लिया और पहाड़ी क्षेत्र की ग्रामीण पेयजल योजनाओं की जानकारी हासिल की। 

इन विधियों के लिए जगह का चयन, डिजाइन, निर्माण, संचालन एवं रख-रखाव बारे में टिप्स लिए। सातों राज्यों के कनिष्ठ अभियंता, सहायक अभियंता, अधिशाषी अभियंता तथा अधिक्षण अभियंताओं ने हिस्सा लिया। 

स्लो सैंड फिल्टर के निर्माण में रेत, छोटे पत्थर व बड़े पत्थर के तीन लेयर बनाए जाते हैं। ये ऊंचाई में लगभग छह फीट, चौड़ाई में चार फीट और आकार में गोल होते हैं। 

पानी जब इस फिल्टर के तीनों लेयर से होकर निकलता है तो एकदम शुद्ध हो जाता है। रैपिड फिल्टरेशन को अमेरिकन विधि भी कहा जाता है। इसके प्रयोग व निर्माण में व्यय कम, प्रयोग में सरल व सुगम होता है। इसके लिए स्लोसैंड फिल्टर की तुलना में कम स्थान की आवश्यकता पड़ती है।