नहीं रहे सिरमौर के प्रसिद्ध लोक गायक और अनुवादक मंगल सिंह तोमर

नहीं रहे सिरमौर के प्रसिद्ध लोक गायक और अनुवादक मंगल सिंह तोमर
नहीं रहे सिरमौर के प्रसिद्ध लोक गायक और अनुवादक मंगल सिंह तोमर

लोक संस्कृति में हारूल को हिंदी मे अनुवाद कर युवा पीढ़ी को किताब के रूप मे प्रदान की है धरोहर

यंगवार्ता न्यूज़ - शिलाई 01-April-2020

जिला सिरमौर के गिरिपार क्षेत्र के मशहूर लेखक, लोक गायक और अनुवादक मंगल सिंह तोमर अब हमारे बीच नहीं रहे हैं। गत रात हार्ट अटैक से उनकी मौत हो गई। 75 वर्षीय मंगल सिंह की मृत्यु पर लोक गायकों और गिरिपार क्षेत्र में शोक है।

वहीं ऐसी दुःख की घड़ी में गिरिपार क्षेत्र के लोगो ने उनकी आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की।

जानकारी के मुताबिक लेखक व प्रसिद्ध लोक गायक मंगल सिंह तोमर का जन्म ग्राम शावड़ी पोस्ट शागवा जिला सिरमौर में शड़वाल खानदान के स्व. शिविया राम की धर्मपत्नी बारो देवी की कोख से हुआ।

मंगल सिंह ने अपनी दसवीं की परीक्षा अम्बोया ग्राम के विद्यालय से उत्तीर्ण करने के बाद वे गृह कार्यों में व्यस्त रहे। सन् 1970 में ग्राम पंचायत दुगाना के सरपंच व सन् 1985-86 में शागवा पंचायत के उप प्रधान निर्विरोध चुने गये।

उनकी बचपन से ही गीत संगीत में रुचि रही तथा गीत सुनने के साथ-साथ स्वयं भी गीत गाने व लिखने का शौक रखते थे। सुनी सुनाई हारुलें, सिरमौर लोक गीतों के अलावा गीह, ॐ गुरु देवाए नमः, म्हारा सिरमौर बड़ा प्यारा तथा रूपी और संतराम के गीतों को अपनी कल्पनानुसार बनाए व लिखे हैं।

श्री श्री 1008 गुरु पूर्णानन्द जी महाराज के आशीर्वाद ने इन्हें इस श्रमसाध्य कार्य से कभी विचलित नहीं होने दिया। यही कारण है कि पिछले 45 वर्षों का अथक परिश्रम आज एक पुस्तक हारूल के रूप में एक अमूल्य निधि व धरोहर के स्वरूप क्षेत्र की पीढ़ी को समर्पित कर गये।

इस किताब मे उन्होंने पहाड़ी मे लिखने के साथ साथ हिंदी मे भी अनुवाद किया ताकि देश विदेश के लोग भी गिरिपार क्षेत्र की संस्कृति को जान सके। उनके इस सपने को किताब का रूप देने मे समाजसेवी आरपी तिवारी का बड़ा योगदान रहा।

उन्होंने भाषा एवं संस्कृति विभाग के कईं लेखों का हिंदी रूपांतरण मे अपना अहम योगदान दिया। मंगलवार को उनके पैतृक गांव शावड़ी मे उनका अंतिम संस्कार किया गया।