पक्षियों से आसन बैराजगुलजार, प्लाश फिश ईगल के न पहुंचने से पक्षी प्रेमी निराश 

पक्षियों से आसन बैराजगुलजार, प्लाश फिश ईगल के न पहुंचने से पक्षी प्रेमी निराश 

यंगवार्ता न्यूज़ - देहरादून 23-11-2020

सर्दियों में इजाफा होने के साथ ही आसन कंजर्वेशन रिजर्व (रामसर साइट) में रंग-बिरंगे विदेशी परिंदों की संख्या में भी इजाफा होने लगा है, लेकिन आसन का राजा कहे जाने वाले प्लाश फिश ईगल ने अब तक रामसर साइट से दूरी बनाई हुई है। इससे पक्षी प्रेमी निराश हैं। बीते दो सालों में प्लाश फिश ईगल को आसन का वातावरण खासा पसंद आया था।
 
यही कारण था कि अमूमन अकेला नजर आने वाला यह परिंदा यहां कभी जोड़े के रूप में नजर आया तो कभी वह गर्मियां शुरू होने के बाद भी आसन बैराज झील के आसपास उड़ता नजर आया, लेकिन इस साल अब तक इस परिंदे की आमाद दर्ज नहीं हो सकी है। इससे पक्षी प्रेमी निराश हैं।
 
वन विभाग को उम्मीद है कि सर्दियों में इजाफा होने के साथ ही यह परिंदा फिर से यहां पर नजर आ सकता है। वन बीट अधिकारी प्रदीप सक्सेना ने बताया कि वास्तव में अब तक प्लाश फिश ईगल की मौजूदगी दर्ज नहीं की जा सकी है। हर साल यह पक्षी सर्दियों की शुरुआत के साथ ही झील में पहुंच जाता है।
 
संकटग्रस्ट प्रजाति होने के कारण वन विभाग की टीम पक्षी के झील में प्रवास के दौरान उसका पूरा डेटा अपने पास रखती है। इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजरवेशन ऑफ नेचर (आईयूसीएन) की वर्ष 2019 में पब्लिश रिपोर्ट के अनुसार पूरे विश्व में इस प्रजाति के सिर्फ 2499 ही पक्षी जीवित हैं। ऐसे में इस पक्षी के भविष्य को लेकर अक्सर पक्षी विशेषज्ञ चिंतित रहते हैं। विकासनगर वन बीट अधिकारी और पक्षी विशेषज्ञ प्रदीप सक्सेना ने बताया कि आसन कंजर्वेशन रिजर्व में अब तक 31 प्रजातियों के 3500 से अधिक पक्षी अपना प्रवास स्थल बना चुके हैं। जैसे-जैसे ठंड में इजाफा होगा, इन मेहमान परिंदों की संख्या भी दिन प्रतिदिन बढ़ती जाएगी।
ये परिंदे पहुंचे प्रवास पर 
झील में अब तक स्पॉट बिल्ड डक, कॉमन कारमोरेंट, लिटिल इगरेट, किंगफिशर, इंडियन कॉरमोरेंट, कॉमन मोरहेन, व्हाइट ब्रिस्टेड वाटर हेन, रेड नेबड आईबिस, गेडवेल, कॉमन टील, लिटिल इगरेट, पिड किंगफिशर, रेड शेंक, ग्रीन शेंक, रुडी शेलडक, ब्लैक विंग स्टिल्ट, ग्रे लेग गूज, नॉर्थन शूवेलर, कॉमन कूट, कॉब डक, कॉमन पोचार्ड, रीवर लेपविंग, रेड वाटर लेड लैपविंग, नाइट हेरोन, नार्थन पिनटेल प्रजाति के 3500 से अधिक परिंदे प्रवास पर पहुंच चुके हैं।