प्राइमरी कक्षाओं केछात्रों को स्कूल बुलाना अनिवार्य नहीं, सरकार ने प्रबंधन पर छोड़ा फैसला 

निजी स्कूलों के अभिभावकों के विरोध के चलते प्रदेश सरकार ने प्राइमरी कक्षाओं के विद्यार्थियों की 15 नवंबर से शुरू होने वाली नियमित कक्षाओं के आदेश को बदल दिया है।

प्राइमरी कक्षाओं केछात्रों को स्कूल बुलाना अनिवार्य नहीं, सरकार ने प्रबंधन पर छोड़ा फैसला 
यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला   13-11-2021
 
निजी स्कूलों के अभिभावकों के विरोध के चलते प्रदेश सरकार ने प्राइमरी कक्षाओं के विद्यार्थियों की 15 नवंबर से शुरू होने वाली नियमित कक्षाओं के आदेश को बदल दिया है।
 
शनिवार को सरकारी छुट्टी के दिन उच्च शिक्षा निदेशालय की ओर से उपायुक्त शिमला, सभी जिला उपनिदेशकों और निजी स्कूलों के प्रिंसिपलों को पत्र जारी कर निजी स्कूलों में प्राइमरी कक्षाओं के विद्यार्थियों को स्कूल बुलाने का फैसला स्वयं लेने की छूट दे दी है।
 
सरकार ने नौ नवंबर के आदेशों में संशोधन करते हुए निजी स्कूल प्रबंधन को एसएमसी-पीटीए से चर्चा कर इस संदर्भ में आगामी फैसला लेने की मंजूरी दे दी है। प्रदेश के शीतकालीन छुट्टियों वाले सीबीएसई और आईसीएसई के निजी स्कूलों के लिए सरकार ने यह फैसला लिया है।
 
प्राइमरी कक्षाओं के विद्यार्थियों को स्कूलों में ना बुलाने पर ऑनलाइन कक्षाएं नियमित तौर पर लगाने के निर्देश दिए गए हैं। राजधानी शिमला के निजी स्कूलों में बच्चे पढ़ाने वाले अभिभावकों के विरोध पर सरकार ने यह संज्ञान लिया है।
 
प्रदेश के सरकारी स्कूलों और स्कूल शिक्षा बोर्ड से संबंध निजी स्कूलों के विद्यार्थियों की सोमवार से नियमित कक्षाएं लगेंगी। पहली से बारहवीं कक्षा तक के विद्यार्थी सोमवार से स्कूल आएंगे। सरकारी स्कूलों के लिए सरकार ने पुराने आदेश ही बरकरार रखे हैं।

हालांकि सरकारी स्कूलों में ऑनलाइन के साथ ऑनलाइन पढ़ाई भी जारी रहेगी। अगर कोई विद्यार्थी स्कूल नहीं आता है तो उसे व्हाट्सएप के माध्यम से शिक्षण सामग्री भेजी जाएगी।
 
11 नवंबर से तीसरी से सातवीं कक्षा के विद्यार्थियों को स्कूलों में बुलाया गया है। अब सोमवार से पहली और दूसरी कक्षा के विद्यार्थियों के लिए भी स्कूलों के दरवाजे खुल गए हैं।
 
पहली से सातवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों की 15 नवंबर से नियमित कक्षाएं चलाने के फैसले का शीतकालीन छुट्टियों वाले स्कूलों के अभिभावकों ने विरोध किया था।
 
राजधानी शिमला में अभिभावकों ने उपायुक्त शिमला को मांगपत्र सौंपकर इस फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग उठाई थी। छात्र-अभिभावक मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा की अगुवाई में इस मांग को लेकर अभिभावक लामबंद हुए थे।