हिमाचल प्रदेश में अब उत्पाती बंदर नहीं होंगे वर्मिन घोषित जानिए......

हिमाचल प्रदेश में अब उत्पाती बंदर वर्मिन घोषित नहीं होंगे। हर महीने बंदरों के हमले और काटने के सैकड़ों मामले सामने आने के बावजूद प्रदेश वन्यजीव विभाग अब केंद्र से इन्हें वर्मिन घोषित करने के लिए प्रस्ताव नहीं भेजेगा

हिमाचल प्रदेश में अब उत्पाती बंदर नहीं होंगे वर्मिन घोषित जानिए......

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला     16-11-2022

हिमाचल प्रदेश में अब उत्पाती बंदर वर्मिन घोषित नहीं होंगे। हर महीने बंदरों के हमले और काटने के सैकड़ों मामले सामने आने के बावजूद प्रदेश वन्यजीव विभाग अब केंद्र से इन्हें वर्मिन घोषित करने के लिए प्रस्ताव नहीं भेजेगा। यही नहीं, अब हर चार साल बाद प्रदेश में बंदरों की गणना करने का भी फैसला लिया गया है। 

वन मुख्यालय शिमला में मंगलवार को बंदरों से जुड़े मुद्दों पर हुई कार्यशाला में विभाग की सर्वे रिपोर्ट और विशेषज्ञों की राय के बाद इसका फैसला लिया है। वन्यजीव विंग के प्रधान मुख्य अरण्यपाल राजीव कुमार की अध्यक्षता में हुई इस कार्यशाला में कोयंबटूर रिसर्च सेंटर के विशेषज्ञों ने भी हिस्सा लिया। कार्यशाला में बंदरों की संख्या और इनके व्यवहार को लेकर हुए पिछले सर्वे की रिपोर्ट पर चर्चा की गई।


रिपोर्ट दी कि केंद्र से पहले भी कई बार प्रदेश में बंदरों को मारने के लिए इन्हें वर्मिन घोषित किया जा चुका है। विभाग के आंकड़ों के अनुसार वर्मिन घोषित होने के बाद साल 2019 तक प्रदेश में सिर्फ पांच बंदर ही मारे गए हैं। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में कई जगह मरे हुए बंदर भी मिले हैं, लेकिन इसका कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं है। 

लोग वर्मिन घोषित होने के बावजूद बंदर नहीं मार रहे। इन्हें वर्मिन घोषित करने की मांग भी नहीं आई है। ऐसे में अब दोबारा केंद्र को इसका प्रस्ताव नहीं भेजा जाएगा। एडिशनल पीसीसीएफ अनिल ठाकुर ने बताया कि अब बंदरों को वर्मिन घोषित करने के लिए केंद्र को प्रस्ताव नहीं भेजा जाएगा।


बंदरों की गणना कितने साल बाद की जानी चाहिए, इसे लेकर प्रदेश में अभी तक कोई समयावधि तय नहीं की गई थी। अब विभाग ने हर चार साल में गणना करने का फैसला लिया है। इनमें देखा जाएगा कि बंदरों की संख्या में कितनी कमी आई है। इनके व्यवहार पर भी सर्वे होगा। अब अगले साल 2023 में बंदरों का सर्वे करवाया जा रहा है। इसके बाद साल 2027 में सर्वे होगा। पिछला सर्वे 2019 में हुआ था। इससे पहले 2015 में भी सर्वे करवाया गया था।