पांवटा साहिब में रंगों का त्यौहार पौराणिक पर्व होली की धूम

पांवटा साहिब में होली पर्व की धूम रही,जिसमें लोगों ने एक दूसरे को रंग लगाकर होली की शुभकामनाएं दी ,घरों में जगह जगह मीठे पकवान बने मुख्य रूप से गुजिया भी बनाई

पांवटा साहिब में रंगों का त्यौहार पौराणिक पर्व होली की धूम

यंगवार्ता न्यूज़ - पांवटा साहिब   18-03-2022

पांवटा साहिब में होली पर्व की धूम रही,जिसमें लोगों ने एक दूसरे को रंग लगाकर होली की शुभकामनाएं दी ,घरों में जगह जगह मीठे पकवान बने मुख्य रूप से गुजिया भी बनाई गई।

कुछ लोगों से जब मुलाकात की गई तो जिनमें तपेन्द्र ठाकुर,जयपाल शर्मा, कृष्ण छींटाआदि का यह कहना की लगभग दो साल बाद होली का जश्न मनाया जा रहा है। कोरोना ने किसी का लाडला छीना तो किसी का सहारा,किसी को बेघर कर दिया,दूसरी ओर अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से हिला कर रख दिया।

लेकिन अब दो साल बाद लोगों ने होली का शानदार तरीके से स्वागत किया है तो वहीं संगीत की धुन पर हिमाचल की संस्कृति को कायम रखा,और नाटी लगाई। इस दौरान पुलिस का कड़ा पहरा पांवटा में रहा और शरारती तत्वों पर नजर बनाए रखी। ताकि शहर के लोग शांति से होली मना सके।

इस दौरान मुकेश छींटा,अशोक शर्मा,सुरेश,शर्मा,पंकज शर्मा,सूरज शर्मा,मुकेश ठाकुर,तपेन्द्र,मनोज शर्मा, प्रकाश शर्मा,नवीन,पवन, अंजू,विशाल आदि मौजूद रहे ।

माना जाता है कि प्राचीन काल में हिरण्यकशिपु नाम का एक अत्यंत बलशाली असुर था,अपने बल के अहंकार में वह स्वयं को ही ईश्वर मानने लगा था,उसने अपने राज्य में ईश्वर का नाम लेने पर ही पाबंदी लगा दी थी। 

हिरण्यकशिपु का पुत्र प्रह्लाद ईश्वर भक्त था, प्रह्लाद की ईश्वर भक्ति से क्रुद्ध होकर हिरण्यकशिपु ने उसे अनेक कठोर दंड दिए, परंतु उसने ईश्वर की भक्ति का मार्ग न छोड़ा।

प्रह्लाद के पिता हिरण्यकश्यप नाम का एक बलशाली अशुर हुआ करता था, जिसे ब्रह्म देव द्वारा ये वरदान मिला था की उसे कोई इंसान या कोई जानवार नहीं मार सकता, ना ही किसी अस्त्र या शस्त्र से, ना घर के बाहर ना अन्दर, ना ही दिन में और ना ही रात में, ना ही धरती में ना ही आकाश में.शुर के पास इस असीम शक्ति होने की वजह से वो घमंडी हो गया था और भगवन के बजाये खुद को ही भगवन समझता था।

अपने राज्य के सभी लोगों के साथ अत्याचार करता था और सभी को भगवन विष्णु की पूजा करने से मना करता था और अपनी पूजा करने का निर्देश देता था क्यूंकि वह अपने छोटे भाई की मौत का बदला लेना चाहता था जिसे भगवन विष्णु ने मारा था। 

भगवान विष्णु ने नरसिंह का अवतार लेकर लोहे का खम्भा फाड़कर हिरणकश्यप को न दिन में मारा न रात में न अस्त्र से न शस्त्र से न आकाश न पाताल नरसिंह भगवान ने दुष्ट असुर को दहलीज पर सन्ध्या बेला पर हिरण्यकश्यप का पेट नाखून से फाड़ दिया ।

इस दौरान मुकेश छींटा,अशोक शर्मा, सुरेश, शर्मा, पंकज शर्मा, सूरज शर्मा, मुकेश ठाकुर, तपेन्द्र,मनोज शर्मा, प्रकाश शर्मा, नवीन,पवन, अंजू,विशाल आदि मौजूद रहे।