फिर से शुरू होगा येलो फीवर वैक्सीन का उत्पादन , सीआईआर कसौली ने सीडीएल को भेजी रिपोर्ट 

केंद्रीय अनुसंधान संस्थान ( सीआरआई ) कसौली में फिर से येलो फीवर वैक्सीन का उत्पादन शुरू होगा। इसके लिए केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय से कवायद शुरू हो गई है। बाकायदा इसका प्रस्ताव भी तैयार कर लिया गया है। हाल ही में सीआरआई के दौरे के दौरान भी केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार ने भी इस मामले में अधिकारियों को निर्देश

फिर से शुरू होगा येलो फीवर वैक्सीन का उत्पादन , सीआईआर कसौली ने सीडीएल को भेजी रिपोर्ट 

 

यंगवार्ता न्यूज़ - सोलन  14-06-2023

 

केंद्रीय अनुसंधान संस्थान ( सीआरआई ) कसौली में फिर से येलो फीवर वैक्सीन का उत्पादन शुरू होगा। इसके लिए केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय से कवायद शुरू हो गई है। बाकायदा इसका प्रस्ताव भी तैयार कर लिया गया है। हाल ही में सीआरआई के दौरे के दौरान भी केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार ने भी इस मामले में अधिकारियों को निर्देश दिए थे। इसके बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी सीआरआई कसौली से संबंधित दस्तावेज भी मंगवाए हैं। 

 

 

इसके बाद लाइसेंस संबंधित औपचारिकताएं शुरू होंगी। इस प्रस्ताव पर मंजूरी के बाद वैक्सीन उत्पादन के लिए लैब समेत अन्य कार्य भी किए जाएंगे और जल्द ही वैक्सीन का उत्पादन शुरू हो जाएगा। सीजीएमपी लैब का भी वैक्सीन उत्पादन में काफी फायदा मिलेगा। इसी के साथ निजी स्तर पर भी वैक्सीन संस्थान को नहीं खरीदनी पड़ेगी। गौर हो कि करीब 10-15 वर्ष पहले सीआरआई में येलो फीवर वैक्सीन का उत्पादन किया जाता था। 

 

 

इसके लिए सीआरआई को लाइसेंस भी दिया गया था। यहां पर वैक्सीन को तैयार करने के बाद इसे बाजार में भी उतारा जाता था। लेकिन कुछ वर्षों पहले संस्थान में वैक्सीन का उत्पादन बंद हो गया। इसके बाद यहां पर लोगों को लगने वाली येलो फीवर वैक्सीन को निजी फार्मा कंपनियों से खरीदकर लगाया जाने लगा। येलो फीवर वैक्सीन यूरोपियन देशों में जाने से पहले लोगों को लगाई जाती है। यह वैक्सीन येलो फीवर के खिलाफ रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है। 

 

 

सेंट्रल ड्रग्स लेबोरेटरी (सीडीएल) ने येलो फीवर वैक्सीन के दो बैच पास किए हैं। इन दोनों बैच में लाखों के हिसाब से डोज है। यह बैच फार्मा कंपनी के हैं। इसके बाद वैक्सीन को बाजार में उतार दिया है। अन्य बैच भी लगातार वैक्सीन के संस्थान में आ रहे हैं। सीडीएल से ग्रीन टिक लेने के बाद ही वैक्सीन को बाजार में उतारा जाता है।