फेसबुक पर शेरजंग के पहाड़ी बखैनों ने मचाया धमाल

फेसबुक पर शेरजंग के पहाड़ी बखैनों ने मचाया धमाल

यंगवार्ता न्यूज़ - राजगढ़   22-02-2021

प्रदेश के जाने माने साहित्यकार शेरजंग चौहान द्वारा फेसबुक पर पहाड़ी कहावतों बारे चलाए जा रहे लाइव कार्यक्रम  इन दिनों काफी धमाल मचा रखा  है । पहाड़ी कहावतें अतीत से ही लोगों में काफी रूचिकर रही है जिसे पहाड़ी भाषा में बखैने कहते  हैं । जिसका प्रयोग लोगों को व्यंग्य रूप में समझाने में किया जाता रहा है। 

शेरजंग चौहान ने एक साक्षातकार में बताया कि पहाड़ी बखैने प्रदेश की संस्कृति व सभ्यता के परिचायक है जिसका इस्तेमाल लोग कई बार हास-परिहास के दौरान भी अक्सर किया करते हैं। इनका कहना है कि फेसबुक पर इनके द्वारा प्रतिदिन सांय 8 बजे से 9 बजे तक लाइव पहाड़ी बखैने तथा अन्य प्रदेश व विशेषकर सिरमौर की संस्कृति बारे चर्चा की जाती है। 

इस कार्यक्रम में उनके साथ करीब 15 सौ लोग जुड़े है जोकि चर्चा में भाग भी लेते हैं । इनके पास पहाड़ी बखैने के अतिरिक्त सिरमौर की प्राचीन संस्कृति व घटनाओं के प्रलेख भी उपलब्ध हैं।

शेरजंग चौहान राजगढ़ के समीप फागू में अपने परिवार के साथ  रहते है जोकि देवदार के वृक्षों के कारण हैवन लगता है। जीवन के शुरूआती दौर से ही शेरजंग चौहान एक बहुआयामी  प्रतिभा के धनी रहे। कला के प्रति इनका बहुत रूझान रहा है और इनके द्वारा शिक्षा विभाग में करीब 35 वर्षों तक बतौर कला अध्यापक अपनी सेवाएं भी दी गई है। 

इनके शौक बचपन से ही  सबसे अजीब एवं अनोखे रहे है। काफी वर्षों पहले जब हिमाचल प्रदेश में केवल जालन्धर दूरदर्शन के कार्यक्रम दिखाई देते थे उस दौरान इनके द्वारा दूरदर्शन में इस्तेमाल किए जाने वाला  विडियो कैमरा खरीद कर अपने घर पर रखा गया था।  जिसका उपयोग विभिन्न समारोह में शौकिया तौर पर किया करते थे । 

शेरजंग चौहान की पर्यावरण सरंक्षण के प्रति गहरी रूचि रही है इनके द्वारा अपने निवास स्थान फागू में देवदार का एक बहुत बड़ा जंगल लगाया गया है जिसके लिए शेरजंग चौहान को विभिन्न प्रतिष्ठित संस्थाओं द्वारा सम्मानित भी किया गया 

इसी प्रकार शेरजंग चौहान उच्च कोटि के कवि व लेखक भी है जिनके द्वारा  अनेक समाचार पत्रों व पत्रिकाओं  में अपना योगदान दिया जाता रहा है । इसके अतिरिक्त शेरजंग चौहान एक उत्कृष्ट समाज सेवक है । हर समय निर्धन व जरूरतमंद परिवारों की सेवा में समर्पित रहते हैं ।

शेरजंग चौहान ने कुछ पहाड़ी बखैने  अर्थात मुहावरे का उल्लेख करते हुए कहा कि बदलते परिवेश में भी बखैने लोगों में काफी रूचिकर है । कुछ बखैनों के अंश इस प्रकार से  है कि चोन्दरे री पोन्द्रो, भोले री सोलह, अर्थात भोले व्यक्ति का भगवान होता है । पराणी कावणे सीटियो पोड़ो, अर्थात बुजुर्गाें की शिक्षा बाद में याद आती है । 

नजाण विद्या खा प्राण, अर्थात अनुभवहीन व्यक्ति हमेशा हानि का शिकार होता है। इसी प्रकार एक अन्य कहावत में -चाकय खाणो-सुचियो जपणो अर्थात संतुलित बात करना। नौं री चौरी -पूंजड़ी अली हूंदी, अर्थात नाम बड़े दर्शन छोटे । 

सारे धामले रो मांगो -पोड़िए री सीढ़ी जोगो , अर्थात किए हुए काम पर पानी फेरना । झूंठे रे बराग , अर्था अत्यधिक डरना, लेरा रे लेरा , भोलखी नाया फिरि तेरया तेरा -अर्थात समझाने का कोई फर्क न पड़ना इत्यादि पांच सौ बखैने हैं जिनका प्रतिदिन शेरजंग चौहान द्वारा फेसबुक पर उल्लेख किया जाता है।

शेरजंग चौहान एक अच्छे फोटोग्राफर भी हैं हर समय इनके गले में उत्तम क्वालिटि का निकॉन कंपनी का कैमरा लटका रहता है और प्रतिदिन फेसबुक पर इनके द्वारा नई से नई दुर्लब फोटोएं डाली जाती है। 

शेरजंग चौहान ने युवाओं को सलाह देते हुए कहा है कि वह व्यर्थ की बातों व कुसंगति में अपना जीवन बर्बाद न करे बल्कि अपनी रूचि के अनुरूप अपनी शक्ति व बुद्धि को सृजनात्मक कार्याें मंे लगाएं तभी जीवन सार्थक बन सकता है।