बजट सत्र के तीसरे दिन भी प्रश्नकाल से पहले सदन में हंगामा
यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 02-03-2021
हिमाचल प्रदेश विधानसभा बजट सत्र के तीसरे दिन मंगलवार को सदन में प्रश्नकाल से पहले ही हंगामा हो गया। 11 बजे शुरू हुई बैठक में प्रश्नकाल घोषित होने से पहले ही कांग्रेस विधायक सुखविंद्र सिंह सुक्खू खड़े हो गए।
उन्होंने सत्र के पहले दिन हुई घटना पर कहा कि भाजपा के सदस्यों ने ही माहौल को ऐसा बनाया। उन्होंने नेता प्रतिपक्ष और अन्य कांग्रेस विधायकों के निलंबन को खत्म करने का अनुरोध किया।
इसके बाद कांग्रेस विधायक आशा कुमारी ने भी इस घटना के लिए संसदीय कार्य मंत्री और विधानसभा उपाध्यक्ष को भी बराबर का कसूरवार ठहराया। इस पर पहले संसदीय कार्य मंत्री सुरेश भारद्वाज और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने उलटा कांग्रेस के व्यवहार पर पलटवार किया। उन्होंने इसे निंदनीय बताया। भारद्वाज ने बगैर शर्त के माफी मांगने को कहा। नोकझोंक करीब 55 मिनट तक चली।
विक्रमादित्य सिंह उपाध्यक्ष हंसराज की सीट तक आए तो इन दोनों में भी तीखी नोकझोंक हुई। इसके बाद प्रश्नकाल घोषित हुआ तो विपक्ष के सदस्यों ने नारेबाजी करते हुए सदन से वाकआउट कर दिया। इसके बाद करीब पांच मिनट के लिए प्रश्नकाल बगैर विपक्ष के ही चलता रहा।
इसके बाद सदन में कांग्रेस विधायक आशा कुमारी ने कहा कि जब कांग्रेस सरकार सत्ता में थी तो कल्याण सिंह जब यहां भाषण देने आए तो उस वक्त हमसे साझा किया कि वे अस्वस्थ हैं और वह पूरा भाषण नहीं पढेंग़े।
इसके बारे में इस बार भी विपक्ष को सूचित कर दिया जाता, पर ऐसा नहीं किया गया। हर बार स्पीकर की ओर से छोटी सी पर्ची आती है कि राज्यपाल के अभिभाषण के बाद चाय के लिए ज्वाइन करें।
इसमें नेता प्रतिपक्ष बुलाए जाते हैं, इस बार पर्ची नहीं भेजी। बाहर शांतिपूर्ण तरीके से नारे लग रहे थे। संसदीय कार्य मंत्री सुरेश भारद्वाज आग लगी है कहते हुए बाहर धक्का देते हुए आए। संसदीय कार्य मंत्री और उपाध्यक्ष ने धक्का दिया।
राज्यपाल को गमलों के बीच से निकालकर ले जा रहे थे। जितने भी वीडियो और कैसेट हैं, उन्हें सदन में पेश किया जाए। सच सामने आ जाएगा। आशा कुमारी ने सुरेश भारद्वाज की ओर इशारा कर कहा- ये मेरे मामा हैं, इनका काम सुरक्षा देना होता है। मेरी मां जुब्बल से थीं। मैं शिमला में ही पली बढ़ीं। वीडियो बोल रहा है कि मामा जी आप क्या कर रहे थे। केवल एक आदमी महेंद्र सिंह ठाकुर ने सभ्य तरीके से बात की।
सीएम चुपचाप सब देखते रहे। संसदीय कार्य मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि केवल आशा कुमारी और सुखविंद्र सिंह सुक्खू ही सही बोल रहे हैं, ऐसा नहीं है। सोशल मीडिया पर कई वीडियो पेश किए जा रहे हैं।
उन्हें अलग-अलग तरीके से प्रस्तुत किया जा रहा है। राज्यपाल को गाड़ी में नहीं बैठने दिया गया। उनकी गाड़ी का दरवाजा ही तोडऩे का प्रयास हुआ। निलंबन पहली बार नहीं हुआ है।
सुरेश भारद्वाज बोले कि कांग्रेस सरकार के वक्त उन्हें और राजीव बिंदल को भी निलंबित किया गया था। वाद-विवाद से लोकतंत्र चलता है। इस प्रकार की घटना में नेता विपक्ष भी शामिल हों, यह पहली बार देखा गया है।
वीरभद्र, विद्या स्टोक्स और प्रेमकुमार धूमल भी नेता प्रतिपक्ष रहे हैं, ऐसी स्थिति में वे पीछे रहे हैं। पर यहां तो नेता प्रतिपक्ष ही नेतृत्व कर रहे थे। बगैर किसी शर्त के राज्यपाल से माफी मांगी जाए, उसके बाद ही निलंबन पर विचार होना चाहिए।
विष्णुकांत शास्त्री के राज्यपाल रहते भी ऐसी घटना हुई थी तो उस वक्त राज्यपाल से वीरभद्र सिंह ने माफी मांगी थी कि ऐसा हो गया है। पर यहां स्थिति यह है कि कांग्रेस विधायक अपने पूर्वजों को ही नहीं मानते हैं।