बिजली प्रोजेक्टों ने भी खोखले कर दिए हैं किन्नौर और लाहौल-स्पीति के पहाड़

बिजली प्रोजेक्टों ने भी खोखले कर दिए हैं किन्नौर और लाहौल-स्पीति के पहाड़

यंगवार्ता न्यूज़ - शिमला 12-08-2021

हिमाचल प्रदेश के किन्नौर और लाहौल-स्पीति के पहाड़ काफी कमजोर हैं। यहां का स्ट्रेटा बेहद कमजोर है। दोनों जिलों में बरसात के पानी का रिसाव भूस्खलन का प्रमुख कारण बनता है।

किन्नौर क्षेत्र में वर्षों पहले भी भूस्खलन और चट्टानें गिरने की समस्या रही है और यह लगातार जारी है। इन दोनों जिलों के पहाड़ों में निर्माण से पूर्व विशेषज्ञों की राय लेने की सलाह दी जाती रही है।

 हिमाचल के अधिकांश पहाड़ अति संवेदनशील हैं। मानसून सीजन में भूस्खलन की समस्या गंभीर बन रही है। यह भूस्खलन ही तबाही का कारण रहता है। किन्नौर में पहले बटसेरी और बुधवार को निगुलसरी में भूस्खलन से सामने आई तबाही के मंजर ने सभी को झकझोर कर रख दिया है। 

हर साल बरसात में पहाड़ दरकने से प्रदेश में काफी तबाही होती है। जान-माल को भी नुकसान पहुंच रहा है। यहां नदियां और नाले भी बरसात में खूब तबाही कर चुके हैं। पिछले कई दशकों से हिमाचल यही कुछ झेल रहा है। 

पर्यावरण को लेकर वैज्ञानिक बराबर चिंतित रहते हैं, क्योंकि हिमाचल प्रदेश के पहाड़ों में बरसात में नमी उत्पन्न होती है। ये पहाड़ ढहने लगते हैं। प्रदेश में पहाड़ों को अवैज्ञानिक तरीके से होने वाले निर्माण को लेकर वैज्ञानिक चिंता जताते रहे हैं। पहाड़ों में खुदाई से पहले विशेषज्ञों की राय लेने की जरूरत महसूस की जा रही है।

देहरादून वाडिया इंस्टीट्यूट में वैज्ञानिक रहे हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के निदेशक इंटरनल क्वालिटी एश्योरेंस सेल (आईक्यूएसी) और कुलपति के सचिव प्रोफेसर एके महाजन कहते हैं कि पूरे किन्नौर के पहाड़ों में बरसात में काफी नमी उत्पन्न होती है। इसी समय पहाड़  सबसे ज्यादा दरकते हैं।

इस नुकसान से बचने का एक ही उपाय है कि पहाड़ों में खुदाई से पहले विशेषज्ञों की राय ली जाए। अवैज्ञानिक तरीके से निर्माण से पूरी तरह से बचा जाए। बटसेरी और निगुलसरी में भूस्खलन से साबित हो गया है कि किन्नौर के पहाड़ों का स्ट्रेटा कमजोर है।

जिला किन्नौर में दर्जनों छोटे-बड़े बिजली प्रोजेक्टों को स्थापित किया गया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इन प्रोजेक्टों के निर्माण से भी किन्नौर क्षेत्र के पहाड़ खोखले हुए हैं। प्रदेश के मौसम को जोड़कर देखने वाले वैज्ञानिक यह भी कहते हैं कि लाहौल स्पीति और किन्नौर में पहले बर्फ ज्यादा गिरती थी।

अब बारिश ज्यादा होने के कारण यहां पहाड़ों में यह ग्रीस का काम करती है। जैसे ही बारिश होती है, लूज स्ट्रेटा ढहने लगता है। इधर, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप, प्रभारी अविनाश राय खन्ना और संजय टंडन ने भी हादसे पर दुख व्यक्त किया है।  कांग्रेस सेवादल प्रदेश अध्यक्ष अनुराग शर्मा ने दुख प्रकट किया है।